इन दिनों कथा वाचकों के मंच देशभर में खूब लग रहे हैं और जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, वहां तो इन मंचों पर न केवल कथावाचक बल्कि उनके साथ राजनीतिक में रचने-बसने वाले भी मौका गंवाए बिना बैठे नजर आने लगे हैं। भोपाल में विगत सात दिन से देवकीनंदन ठाकुर की कथा चल रही है लेकिन शनिवार को ऐसा दृश्य बना कि देवकीनंदन की कथा में सनातन धर्म की ध्वजा लेकर चल रहे बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी पहुंच गए। मंच पर ऐसा कुछ हुआ जो पिछले कुछ समय से लगभग हरेक कथावाचक के मंच से होता है। आईए पढ़िये क्या हुआ।
मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और राजनीतिक दल जनता के बीच जाने के लिए धार्मिक मंचों का सहारा लेती दिखाई दे रही हैं। चैत्र के नवरात्र में नौ दिन धार्मिक आयोजन हो या हनुमान जयंती पर शोभायात्राएं, ऐसे आयोजनों में राजनीतिक रंग दिखाई देने लगा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही खुलकर ऐसे आयोजनों में शामिल होने लगे हैं। कथावाचकों के मंच धार्मिक माहौल में ज्यादा सज रहे हैं और ऐसा एक मंच पिछले करीब एक सप्ताह से भोपाल में कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का सजा था। सप्ताहभर से उनकी कथा चल रही थी लेकिन शनिवार को ऐसा संयोग बना कि देवकीनंदन ठाकुर के साथ मंच पर बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी पहुंच गए।
मंच से सनातन धर्म के साथ कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति का आव्हान
देवकीनंदन ठाकुर की कथा में शनिवार को वे ही नहीं बल्कि संत-महात्माओं के साथ भाजपा के नेता भी मौजूद थे। इस मंच से देवकीनंदन ठाकुर ने हिंदुओं के बहुसंख्यक बचने का डर दिखाया और हिंदू राष्ट्र की वकालत की। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उनसे दो कदम आगे निकल गए और मंच से कहा कि यहां सब कुछ क्रम से हो रहा है। पहले राम आए थे और अब धनश्याम की बारी है। उन्होंने हिंदू राष्ट्र की माला जापने की बात कही और इसके साथ कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन से जुड़ने का आव्हान भी कर दिया।
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