मध्य प्रदेश में इन दिनों भारतीय जनता पार्टी के वे नेता मुखर हो गए हैं जो कुछ सालों से अपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहे थे। दीपक जोशी की आड़ में ये नेता अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को निशाने पर लेने से नहीं चूक रहे हैं। दीपक जोशी तो पार्टी छोड़ रहे हैं तो उनकी बात अब उतने मायने नहीं रखती लेकिन पार्टी में मौजूद दूसरे उपेक्षित भाव महसूस करने वाले नेताओं के बयानों से भाजपा की मुश्किलें बढ़ रही हैं। पढ़िये भाजपा के भीतर की ऊहापोह की स्थिति पर रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश की राजनीति में तीन साल पहले जिस तरह से सरकार का तख्ता पलट हुआ था और कांग्रेस के पाले से उतरकर 22 विधायक भाजपा के पास चले गए थे। उनके इस्तीफे से कांग्रेस की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी और 20 मार्च 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया था। इस घटनाक्रम में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्य भूमिका में रहे जिनकी वजह से भाजपा को सवा साल बाद मध्य प्रदेश की सत्ता दोबारा मिली थी। मगर सिंधिया के साथ भाजपा में पहुंचे कांग्रेस नेताओं की वजह से कई नेताओं को नुकसान हुआ और कई अपने आपको उपेक्षित महसूस करने लगे। तीन साल तक इन नेताओं ने अपने आपको पार्टी में सिकुड़कर रखा लेकिन आज जब दीपक जोशी पार्टी को छोड़कर कांग्रेस में जा रहे हैं तो उनकी आड़ में दूसरे नेता अपना गुबार निकालने से नहीं चूक रहे हैं।
प्रभारियों को दी जा रही द्रौपदी की संज्ञा पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल पूर्व राज्यसभा सदस्य रघुनंदन शर्मा ने इस पूरे घटनाक्रम पर संगठन को आड़े हाथों लिया है। शर्मा ने संगठन में संवादहीनता पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि आज पांच प्रभारी हैं लेकिन संवादहीनता बनी हुई है। उन्होंने कहा कि जिस तरह द्रौपदी की पांच पतियों के कारण जो हालत हुई थी, वही पार्टी में पांच प्रभारी होने के कारण हो रही है। पहले हर कार्यकर्ता की बात को सुना जाता था, समझा जाता था लेकिन आज परिस्थितियां वैसी नहीं हैं। कुछ इसी रह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी संगठन की खामियां बता रहे हैं।
सत्तन सिंधिया तो शेखावत का सरकार पर निशाना वहीं, मालवा के वरिष्ठ भाजपा नेता और कवि सत्यनारायण सत्तन इन दिनों केंद्रीय मंत्री सत्तन के खिलाफ मुखर हैं। उन्होंने बीते कुछ दिनों में सिंधिया पर जितना हमला बोला है, वह तीन साल पहले उनके साथ मिलकर बनी भाजपा सरकार पर सीधा हमला है और अब तक जो आरोप कांग्रेस लगाती रही थी, वह ऐसे विधानसभा चुनाव के समय बुजुर्ग भाजपा नेता द्वारा दिए गए बयानों से पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसी तरह भंवरसिंह शेखावत भी सिंधिया समर्थक मंत्रियों का नाम लिए बिना सरकार के भ्रष्टाचार पर बयानबाजी कर रहे हैं। उनका निशाना सिंधिया समर्थक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव-तुलसीराम सिलावट पर है।
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