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दिमागी सोच का दायरा बढ़ाने के लिए किताब ही सही माध्यमः अदिति चतुर्वेदी

किताबों का विकल्प डिजिटल मीडिया नहीं है। दिमागी सोच का दायरा किताबों से ही बढ़ाया जा सकता है। किताब ही उसका माध्यम है। किताबें हमेशा प्रासंगिक रहेंगी और हमें किताबों के पास जाना पड़ेगा। यह विचार आईसेक्ट ग्रुप ऑफ यूनिवर्सिटीज की निदेशक डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स ने चेंजिंग लैंडस्केप इन मॉडर्न लाइब्रेरियनशिप विषय पर आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में व्यक्त किए।
रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के केन्द्रीय पुस्तकालय एवं पुस्तकालय विभाग द्वारा यह एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजित की गई थी। कार्यक्रम में डाॅ. अदिति चतुर्वेदी वत्स बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थीं। विशिष्ट अतिथि डाॅ. सोनल सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, कीनोट स्पीकर डाॅ. पीके जैन, लाइब्रेरियन इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली, डाॅ. प्रभात कुमार पांडे, अध्यक्ष एमपीएलए भोपाल, डाॅ. ब्रह्म प्रकाश पेठिया, कुलपति, डाॅ. विजय सिंह, कुलसचिव और डाॅ. राकेश खरे, लाइब्रेरियन आरएनटीयू उपस्थित थे। डाॅ. ब्रम्ह प्रकाष पेठिया ने कहा कि किताबें पढ़ने से हमें संतुष्टी मिलती है। इनोवेटिव आइडियाज आते हैं। पुस्तकालय के बगैर शिक्षा अधूरी है।
डिजिटल सुविधाओं के बावजूद किताबों-जर्नल्स को कम नहीं करें
वहीं, अतिथियों ने पुस्तकालयों के महत्वों पर बात करते हुए कहा कि डिजिटल सुविधाओं के बाद भी प्रिंटिंग किताबों और जर्नल्स को कम नहीं किया जाना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में डाॅ. विजय सिंह ने कहा कि पुस्तकालय विश्वविद्यालय और शैक्षणिक संस्थाओं का महत्वपूर्ण भाग है। उन्होंने हमारे प्राचीन विश्वविद्यालयों के पुस्तकालयों के समृद्ध इतिहास की बात भी कही और विश्वविद्यालयों में डिजिटल तथा लाइब्रेरी के कॉम्बिनेशन के उपयोग किए जाने की सलाह दी।
लायब्रेरियन सम्मानित
इस मौके पर मध्यप्रदेश लाइब्रेरी एसोसिएशन (एमपीएलए) के अवार्ड से डाॅ. संगीता जौहरी, प्रतिकुलपति आरएनटीयू, डाॅ. राकेश खरे, लाइब्रेरियन आरएनटीयू, डाॅ. संगीता सिंह, सीवीआरयू बिलासपुर, सुश्री सीमा दिवान, डाॅ. रजनीश ताम्रकार और संतोष कोरी को सम्मानित किया गया। साथ ही डाॅ. राकेश खरे और डाॅ. प्रभात पांडे द्वारा संपादित ‘चेंजिंग लैंडस्केप इन मॉडर्न लाइब्रेरियनषिप’ पुस्तक का विमोचन किया गया।
विभिन्न राज्यों के 10 शोध पत्र पेश
कार्यक्रम दो सत्रों में सम्पन्न हुआ। प्रथम सत्र के विषय ‘यूज ऑफ आईसीटी एण्ड ई-रिसोर्सेस इन टीचिंग लर्निंग मेथड्स’ की अध्यक्षता डाॅ पी. के. त्रिपाठी, लाइब्रेरियन आरआईई भोपाल ने की। बतौर कीनोट स्पीकर डाॅ. महेन्द्र कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर, रिपोर्टियर डाॅ. अश्विनी यादव, एसोसिएट प्रोफेसर सैम भोपाल, को-रिपोर्टियर डाॅ. शिव शक्ति श्रीवास्तव, एसोसिएट प्रोफेसर आरएनटीयू ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वहीं दूसरे सत्र के विषय ‘यूज एंड एप्लीकेशन ऑफ डिजिटल लाईब्रेरी एण्ड ओपेन साइंस इन इंडिया’ की अध्यक्षता डाॅ. पी.एस. राजपूत, असिस्टेंट प्रोफेसर एमएलएस विश्वविद्यालय उदयपुर ने की। बतौर कीनोट स्पीकर श्री संदीप पाठक, डिप्टी लाइब्रेरियन आईआईएसईआर भोपाल, रिपोर्टर सौरभ लोहिया, डिप्टी लाइब्रेरियन अमेटी यूनिवर्सिटी जयपुर को-रिपोर्टियर श्री राजेश पठाने, लाइब्रेरियन एलएनसीटी भोपाल ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम में अलग-अलग राज्यों से 10 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए वहीं एडिटेड बुक में 24 शोध पत्र प्रकाशित हुए।
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