मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में छतरपुर जिले में कांग्रेस की राजनीति फिर गरमा गई। पहले से ही यहां विधायकों और जिला संगठन के बीच तालमेल की कमी है और आज पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के पूर्व नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी के निवास पर पहुंचकर जिले की राजनीति को और गरमा दिया है। तीनों विधायकों के टिकट पर मंडरा रहे संकट में समीकरण तेजी बदलते नजर आ रहे हैं। देखिये विशेष रिपोर्ट।
बुंदेलखंड का छतरपुर जिला कांग्रेस के लिए काफी समय से राजनीतिक दृष्टि से फलने-फूलने वाला नहीं बचा है और यही वजह से पांच में से कुछ सीटें ही कांग्रेस के खाते में आती-जाती रही हैं। इस समय यहां कांग्रेस के तीन विधायक महाराजपुर से नीरज दीक्षित, छतरपुर से आलोक चतुर्वेदी और राजनगर से कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा हैं जिनकी स्थिति सर्वे रिपोर्टों में डांवाडोल बताई जा रही है। साथ ही इन विधायकों का जिला संगठन से तालमेल भी अच्छा नहीं है जिसकी शिकायतें भोपाल में पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ तक भी पहुंच चुकी हैं।
राजनीतिक गुमनामी में खोये सत्यव्रत की एंट्री पिछले विधानसभा चुनाव में अपने पुत्र मोह में कांग्रेस से छिटककर अलग हुए कद्दावर नेता छतरपुर के सत्यव्रत चतुर्वेदी की आज राजनीति में फिर सक्रियता दिखाई दी और उनकी एंट्री से जिले की राजनीति गरमा गई है। सत्यव्रत चतुर्वेदी पांच साल पहले पुत्र के समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़कर हारने के बाद से राजनीतिक गुमनामी में पहुंच गए थे लेकिन उनके राजनीतिक विरोधी माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छतरपुर दौरे के दौरान उनके निवास पर पहुंचने से जिले की राजनीति में नया मोड़ आने की संभावना दिखाई दे रही है।
विधायकों के विकल्पों की तलाश की खबरें बताया जा रहा है कि छतरपुर जिले में कांग्रेस के मौजूदा विधायकों आलोक चतुर्वेदी, कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा व नीरज दीक्षित की स्थिति सर्वे में रिपोर्ट में अच्छी नहीं आने से विकल्पों की तलाश की खबरें तेजी से चल रही हैं। आलोक चतुर्वेदी की सीट छतरपुर से उनका चुनाव संचालन करते नीलमणि सिंह बब्बू राजा की सक्रियता बढ़ी है तो महाराजपुर सीट से आलोक चतुर्वेदी की भतीजी और सत्यव्रत चतुर्वेदी की पुत्री निधि चतुर्वेदी का नाम आगे आया है। निधि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के लिए काम कर चुकी हैं और उनकी पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ से भी मुलाकात हो चुकी हैं। इसी तरह तीसरे विधायक नातीराजा की सीट पर पूर्व विधायक शंकरप्रताप सिंह सक्रिय हैं। कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा पिछले चुनाव में भी बमुश्किल जीते थे और इस बार उनकी सर्वे रिपोर्ट भी अच्छी नहीं बताई जा रही है। ऐसे में छतरपुर के तीनों विधायकों की सीटों पर कांग्रेस के पास विकल्प हैं और दिग्विजय-सत्यव्रत की मुलाकात से यह नए समीकरण बदले हैं।
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