तलाशे जौहर कार्यक्रम में शायर ने कहा- दिल की जलन का आंखों से रिश्ता अजीब था, घर जल रहा था और समंदर क़रीब था

मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा ज़िलेवार गतिविधि “सिलसिला” के अंतर्गत गुना में “साहित्यिक गोष्ठी” आयोजित की जा रही है और इस कड़ी में गुना में रविवार को शेरी व अदबी नशिस्त का आयोजन जिला समन्वयक डॉ. हरकांत अर्पित के सहयोग किया गया। तलाशे जौहर कार्यक्रम में जिला मुख्यालयों पर रचनाकारों के लिए सिलसिला प्रोग्राम में कई शायरों व रचनाकारों ने अपनी अपनी रचनाएं पेश कीं।

अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी के अनुसार उर्दू अकादमी द्वारा अपने ज़िला समन्वयकों के माध्यम से प्रदेश के सभी ज़िलों में आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत “सिलसिला” के अन्तर्गत व्याख्यान, विमर्श व काव्य गोष्ठियाँ आयोजित की जा रही हैं। ज़िला मुख्यालयों पर आयोजित होने वाली गोष्ठियों में सम्बंधित ज़िलों के अन्तर्गत आने वाले गाँवों, तहसीलों, बस्तियों इत्यादि के ऐसे रचनाकारों को आमंत्रित किया जा रहा है जिन्हें अभी तक अकादमी के कार्यक्रमों में प्रस्तुति का अवसर नहीं मिला है अथवा कम मिला है। इस सिलसिले के तेईस कार्यक्रम भोपाल, खण्डवा, विदिशा, धार, शाजापुर टीकमगढ़, सागर एवं सतना, रीवा, सतना सीधी, रायसेन, सिवनी, नरसिंहपुर नर्मदापुरम दमोह, शिवपुरी, ग्वालियर, बुरहानपुर, देवास, रतलाम, बालाघाट, छिंदवाड़ा, अशोक नगर, हरदा बैतूल एवं जबलपुर में आयोजित हो चुके हैं और आज यह कार्यक्रम गुना में आयोजित हुआ जिसमें गुना ज़िले के रचनाकारों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत प्रस्तुत कीं।

गुना ज़िले के समन्वयक डॉ. हरकांत अर्पित ने बताया कि आयोजित साहित्यिक गोष्ठी में 12 शायरों और साहित्यकारों ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता गुना के वरिष्ठ शायर डॉ. सतीश चतुर्वेदी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में डा. अशोक गोयल एवं विशेष अतिथि के रूप में प्रमोद भार्गव मंच पर उपस्थित रहे।
जिन शायरों ने अपना कलाम पेश किया उनके नाम और अशआर इस प्रकार हैं।

डा. सतीश चतुर्वेदी
कंधों पे जब से ज़िम्मेदारियां आईं ,
मोहब्बत पे कदम रख होशियारियां आईं.

डा. अशोक गोयल
ऐसा कोई कमाल हो जाए
क़ैस के जैसा हाल हो जाए

अनिरुद्ध सिंह सेंगर
जब बोलूंगा सच बोलूंगा,
सच मेरा ईमान है साहिब

आशा तवस्सुम
दिल की जलन का आंखों से रिश्ता अजीब था,
घर जल रहा था और समंदर क़रीब था.

ख़लील रज़ा
खुशनुमा जितने परिन्दे थे वो सारे उड़ गये,
अब यहाँ कुछ कोयलें कुछ फ़ाक़्ताऐं रह गई.

हफ़ीज गुनावी
कभी जमीं तो कभी आसमान से गुजरे,
ख़्याले यार में दोनों जहान से गुजरे.

कृष्ण गोपाल वशिष्ठ
वो भी बैचेन मै भी विकल हो गया, रास्ता प्रेम का अब सरल हो गया.

प्रमोद सोनी
मुस्कुराहट से भरी ये बानगी अच्छी लगी,
इस अंधेरे में हमे ये रोशनी अच्छी लगी.

सुनील शर्मा
जब तक कोई मेरे आसपास रहा,
मुझे भीड़ में होने का एहसास रहा.

मुबारक गुनावी
वो वफा भी करता है जफा के साथ,
ज़हर भी देता है तो दवा के साथ.

रेखा खरे
माना पहली बार यहां हम आए हैं, फिर भी सारा शहर हमारा लगता हैं

डा. हरकांत अर्पित
दाग़ की ग़ज़लों में निहाँ तुलसी का ख़्वाब हो
देवनागरी में लिखी गालिब की किताब हो

शेरी नशिस्त का संचालन अनिरुद्ध सिंह सेंगर द्वारा किया गया। इस अवसर पर काफी संख्या में गणमान्यजन उपस्थित रहे जिनमें डा. उमा शर्मा, मधुर कुलश्रेष्ठ, गयासुद्दीन पठान, शरद सक्सेना, नीलम कुलश्रेष्ट, डा प्रीति सक्सेना, डा. प्रतिभा दुबे, मुग्धा जैन, संजय खरे, डा शिवशंकर शर्मा, राजन अरोरा, डा. श्वेता अरोरा, सुरेन्द्र गुप्ता आदि प्रमुख हैं। कार्यक्रम के अंत में डा. हरकांत अर्पित ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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