जैविकबीज उत्पादन के लिए 8 शासकीय प्रक्षेत्र का चयन

प्रदेश में जैविक प्रमाणीकरण प्रक्रिया और जैविक बीज उत्पादन को बढ़ावा देने के उददेश्य से 8 शासकीय प्रक्षेत्रों का पूर्ण रूप से जैविक बीज उत्पादन कार्यक्रम के लिये चयन किया गया है। इन प्रक्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि का रकबा करीब 251 हेक्टेयर चयनित प्रक्षेत्र है। चयनित प्रक्षेत्रों में डिण्डोरी, सिवनी जिले का भोमाकटिया, छिन्दवाड़ा जिले का देलाखारी, बालाघाट जिले का गढ़ी, देवास जिले का चन्द्रकेशर, ग्वालियर का महुआखेड़ा, अलीराजपुर का जोबट और बैतूल जिले का गुदगांव शामिल हैं। इसके साथ ही प्रदेश में जैविक कृषि अनुसंधान केन्द्र की स्थापना का कार्य भी प्रगति पर है।प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये मध्यप्रदेश जैविक नीति 11 मई 2011 से लागू की गई है। इसके बाद 3 मार्च 2014 को जैविक खेती विकास परिषद का गठन किया गया। जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के उददेश्य से 12वीं पंचवर्षीय योजना वर्ष 2012-13 में प्रारंभ की गई। इसमें प्रदेश के 16 जिलों अलीराजपुर, झाबुआ, बैतूल, खंडवा, सागर, दमोह, छिन्दवाड़ा, मंडला, बालाघाट, उमरिया, डिण्डोरी, कटनी, अनूपपुर, श्योपुर कलां, भोपाल और सीहोर के 32 विकासखंडों को शामिल किया गया है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में योजना भी जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश पर 5 जिलों के 5 विकासखंडों में योजना संचालित की गई। इसके बाद इसका विस्तार करते हुए इसे 7 जिलों के 7 और विकासखंडों में लागू किया गया। एनजीटी के निर्देशानुसार जैविक खेती विकास कार्यक्रम नर्मदा नदी के किनारों पर प्रमुख रूप से लागू किया गया है। प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में जैविक उत्पाद के विपणन के लिये अलग से प्लेटफार्म बनाये गये हैं।

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