जुलानिया को जातिवादी बताने, IAS कंसोटिया के आंदोलन की खिलाफत करने वाले थेटे पर फिर FIR
Wednesday, 8 February 2023 7:14 PM adminNo comments
22 साल पहले जबलपुर नगर निगम में आयुक्त व संचालक रोजगार की पोस्टिंग के बैंकों से ऋण लिया था। उसी दौरान लोकायुक्त केसों में फंसने वाले रमेश थेटे व उनकी पत्नी पर रिटायरमेंट के बाद फिर एक एफआईआर दर्ज हुई है। यह वही थेटे हैं जिन्होंने आईएएस राधेश्याम जुलानिया को जातिवादी तो आईएएस जेएन कंसोटिया के आरक्षण बचाओ आंदोलन की रिजर्व केटेगरी के होने के बाद भी खिलाफत की थी। आपको बता रहे हैं सर्विस के दौरान और रिटायरमेंट के बाद थेटे कैसे चर्चा में रहे।
आईएएस अधिकारी रमेश थेटे 2001-02 में नगर निगम जबलपुर में आयुक्त थे और फिर वहां से संचालक रोजगार व प्रशिक्षण बने थे। उसी दौरान उनके तथा उनकी पत्नी मंदा थेटे के नाम से जबलपुर के विभिन्न बैंकों में 68 लाख रुपए का ऋण लिया था। मगर उनके ऋण राशि को बहुत कम समय में ही चुका दिया था जिसमें 2013 में लोकायुक्त संगठन ने उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी। इस प्राथमिकी की जांच के बाद विगत सप्ताह लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना की जबलपुर इकाई ने उनके तथा उनकी पत्नी के खिलाफ पीसी एक्ट और भादवि के तहत एफआईआऱ दर्ज की है।
थेटे यूं चर्चा में रहेः रमेश थेटे के खिलाफ लोकायुक्त में कई केस दर्ज हुए थे जिनमें उन्हें कोर्ट से राहत मिलने के बाद सरकार ने पोस्टिंग दीं। 2016 में उन्हें आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया के अधीन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में सचिव बनाया गया लेकिन जब उन्हें कार्य आवंटन में मनचाहा काम नहीं मिला तो उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। उसमें जुलानिया पर जातिवादी मानसिकता का आरोप लगाया था।
उसी दौरान आईएएस अधिकारी जेएन कंसोटिया के संगठन द्वारा आरक्षण बचाओ आंदोलन चलाया गया था लेकिन थेटे ने आरक्षित वर्ग के होने के बाद भी उनकी खिलाफत की थी। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने मीडिया को लिखित में अपने साथ सरकार द्वारा पक्षपात का व्यवहार करने का आरोप लगाया था। अपने आपको आंबेडकरवादी बताते हुए थेटे ने आरोप लगाया था कि इसी की कीमत उन्होंने चुकाई और डायरेक्टर आईएएस होने के बाद भी एक भी जिले में कलेक्टर की जिम्मेदारी नहीं दी गई। 25 केस उन पर लगा दिए गए और जब कोर्ट से राहत मिली तो पत्नी पर केस बनाकर उन्हें सह आरोपी बनाया दिया गया। उन्होंने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उतरने के लिए भी कंपनी बनाई। रिटायरमेंट के बाद वे महाराष्ट्र के नागपुर में रह रहे हैं।
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