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जीप से मरी बाघिन के गवाह को छिपाकर दूसरे को फँसाने की कोशिश करने वाले पीसीसीएफ को सजा

बांधवगढ़ में जीभ से एक बाघिन की मौत के गवाह को छिपाकर एक IAS अक्षर सिंह और एक अन्य अधिकारी को फँसाने के मामले में तत्कालीन डायरेक्टर और वर्तमान पीसीसीएफ सहित तीन वन अधिकारियों को अदालत ने सजा सुनाई है. 10 साल पुराने इस मामले में मानपुर कोर्ट द्वारा सुनवाई के बाद यह फैसला दिया गया है.
दरअसल सन 2011-12 में बांधवगढ़ की मशहूर झुरझुरा वाली नामक बाघिन की जीप से कुचलकर मौत हो गई थी. बाघिन की मौत के मामले में तत्कालीन डायरेक्टर सीके पाटिल और उनकी टीम द्वारा प्रमुख गवाह और जानकार के तौर पर बांधवगढ़ में कार्यरत कर्मचारी मानसिंह के माध्यम से किसी अन्य दूसरे लोगों IAS अक्षर सिंह और एक अन्य अधिकारी के के पाण्डे को फंसाने के लिए रचना रची जा रही थी। जिसमें प्रबंधन के द्वारा कर्मचारी मानसिंह के ऊपर भारी दबाव बनाते हुए उसे उनके बताए अनुसार लोगों को फंसाने के लिए दबाव दिया जा रहा था। इस दौरान मानसिंह को उसके घर में बिना बताएं या किसी जानकारी के उसको गोपनीय तरीके से बंदी बनाकर कई दिनों तक रखा गया था। बाघ की मौत के मामले में प्रबंधन द्वारा तत्कालीन जिला पंचायत उमरिया के सीईओ और आईएएस अक्षय कुमार सिंह,तत्कालीन सीईओ मानपुर डॉ केके पाण्डेय सहित अन्य आरोपी बनाए गए थे।
इस मामले परिवाद कर्ता मान सिंह के वकील एडवोकेट अशोक वर्मा ने बताया कि बांधवगढ़ प्रबंधन के द्वारा मान सिंह को बंदी बनाए जाने और झूठी गवाही दिए जाने का दबाव बनाने को लेकर न्यायालय में परिवाद पेश किया था। जिसमें न्यायालय ने सभी तर्कों का अवलोकन करते हुए परिवाद को स्वीकार किया और धारा 195 (A) और 342 के तहत मामला पंजीबद्ध किया। सन 2012 से व्यवहार न्यायालय मानपुर में लगातार सुनवाई चल रही थी।
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