जंगल में आगजनी रोकने में एमपी देश का रोल मॉडल बना, 10 हजार हेक्टेयर जंगल आग लगने से बचाया

जंगलों में आगजनी को रोकने के मामले में मप्र देश में एक रोल मॉडल बनकर उभरा है। पिछले साल की तुलना में वर्ष 2023 में करीब 10 हजार हेक्टेयर जंगल के क्षेत्र को आग लगने की घटना से बचा लिया गया है। मध्य प्रदेश की इस उपलब्धि में आईटी के अंकुर अवधिया, सतना डीएफओ विपिन पटेल, डीएफओ साहिल गर्ग व रीवा एसडीओ और आईएफएस अधिकारी ऋषि मिश्रा का विशेष योगदान रहा है। पढ़िये रिपोर्ट।

अधिकृत जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश में इस साल आग से 3881 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित रहा है जो जबकि पिछले साल 13438 हेक्टेयर वन क्षेत्र में हुई आगजनी से करीब 70 फीसदी कम बताया जाता रहा है। वन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों को आईटी शाखा द्वारा सतत निगरानी के माध्यम से दी जाने वाली जानकारी का इसमें महत्वपूर्ण योगदान है। इसीलिए आईटी शाखा से अंकुर अवधिया को विशेष तौर पर पुरस्कृत किया गया है। साथ ही सतना डीएफओ विपिन पटेल, डीएफओ साहिल गर्ग, रीवा एसडीओ और आईएफएस ऋषि मिश्रा के सराहनीय प्रयासों से उन्हें भी जंगलों में आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए पुरस्कृत किया गया।

दस फीसदी आगजनी रोकने के लक्ष्य से पांच गुना ज्यादा उपलब्धि
भारत सरकार ने मध्य प्रदेश के वन विभाग को जंगल में आगजनी की घटनाओं को 10% कम करने का लक्ष्य दिया था जिसके विरुद्ध वन विभाग ने 51% घटनाओं में कमी लाकर विशिष्ट उपलब्धि हासिल की है। हालांकि जंगलों को आगजनी से बचाने में वन विभाग ने 30 करोड़ रुपए से विभिन्न आधुनिक संसाधनों के माध्यम से जंगल के निरीक्षण में मदद ली। इस राशि को हर डिवीजन में दो-दो ड्रोन, सैकड़ों की तादाद में एयर ब्लोअर और आगजनी किट की खरीदी पर खर्च किया।
आगजनी के 11619 प्रकरण
2022-23 में वन आगजनी में मात्र 11619 अग्नि प्रकरण दर्ज किए। इससे यह स्पष्ट है कि वन विभाग ने आगजनी की घटनाओं में प्रभावी नियंत्रण किया. जबकि वर्ष 2020-21 में 54734 फायर पॉइंट एवं वर्ष 2021-22 में 34559 पॉइंट पर आगजनी की घटनाएं हुई. आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए सिंपलीफायर बेव द्वारा वन अग्नि की घटनाओं को नक्शो के माध्यम से वन रक्षकों को जानकारी दी गई, जिसके परिणाम स्वरुप त्वरित और प्रभावित नियंत्रण किया गया. साथ ही वन बल प्रमुख आरके गुप्ता ने व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से लगातार मॉनिटरिंग भी की. भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान के अग्नि पोर्टल पर मध्य प्रदेश से 45287 मोबाइल नंबर पंजीकृत किए गए. इसके अलावा 15,628 वन सुरक्षा समितियों और 23000 से अधिक स्थानीय लोगों की मदद के जरिए आगजनी की घटनाएं रोकने में कामयाबी मिली।
ऐप की मदद से हो रही मॉनिटरिंग
मध्यप्रदेश में 94,689 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है. इसमें 61,886 वर्ग किलोमीटर आरक्षित वन, 31,098 वर्ग किलोमीटर संरक्षित वन और 1705 वर्ग किलोमीटर अन्य वन क्षेत्र है. वन विभाग फ़ॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की मदद से दो सेटेलाइट से आगजनी की घटनाओं की लगातार जानकारी हासिल करता है. अधिकारियों का कहना है कि हर दो घंटे में जंगल का डाटा मिलता रहता है. इसके बाद सेटेलाइट इमेज की मदद से संबंधित क्षेत्र में आग को फैलने से रोकने और बुझाने का काम होता है। प्रदेश में जंगलों के आसपास रहने वाले 35 हजार लोगों को जोड़ा गया है. जिन्हें मैसेज भेजकर आग लगने की सूचना दी जाती है।
देवास और दमोह में आगजनी की सबसे अधिक घटनाएं
तमाम उपकरणों मशक्कत के बाद भी देवास और दमोह में सबसे अधिक आगजनी की घटनाएं दर्ज की गई है. पिछले वर्ष सतना डिविजन में 3061 आगजनी की घटनाएं हुई थी. लेकिन वर्ष 2023 में सतना डिवीजन टॉप-15 की सूची में भी नहीं है. इसी प्रकार रीवा डिविजन आगजनी की घटनाओं में टॉप टेन की सूची में था जोकि इस वर्ष टॉप -14 की सूची से बाहर है 1457 आगजनी की घटनाएं दर्ज की गई थी।
डिवीजन फायर पॉइंट
देवास 1630
दमोह 1423
साउथ छिंदवाड़ा 1140
साउथ बालाघाट 1097
अब्दुल्लागंज 1081
रायसेन 1061
सीहोर 985
बांधवगढ़ एनपी 853
खंडवा 810

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