हाई कोर्ट जबलपुर ने आदिवासियों को वन भूमि पर अतिक्रमण के उकसाने के मामले में माधुरी बेन के खिलाफ जिला बदर के आदेश को यथावत रखा है। बुरहानपुर जिला प्रशासन ने वन विभाग के प्रस्ताव पर जिला बदर का आदेश पारित किया था। इस आदेश को माधुरी बेन हाईकोर्ट जबलपुर में चुनौती दी थी। शुक्रवार को उनकी याचिका उच्च न्यायालय ने खारिज करते हुए कलेक्टर बुरहानपुर द्वारा की जा रही कार्रवाई को प्रदेश के हित में बताया।
न्यायालयीन कार्यवाही के तहत माधुरी बेन के खिलाफ 12 साक्ष्यों के बयान और उनके प्रतिपरीक्षण 21 घंटे तक हुए। जिसमें 6 किसान/ मजदूरों द्वारा माधुरी बेन के खिलाफ बयान में बताया गया कि माधुरी बेन द्वारा मकोडिया, गाड़ाघाट, गोलखेड़ा और अन्य कई वन क्षेत्रों में अलग अलग स्थान पर अलग अलग जगह भाषण देते हुए देखा गया जिसमें माधुरी बेन लोगों को अतिक्रमण के लिए उकसाती थी और कहती थी कि कटाई करो और ट्रेक्टर एवं हल से जुताई करो और मकान बनाकर रहो। फारेस्ट वाले तुम्हारे नौकर है। हम तुम्हें पट्टा दिलाएंगे। माधुरी बेन से अपने बयानों के लिए 6 घंटे तक विभाग की ओर से सवाल जवाब हुए।
बुरहानपुर में 10 हजार हेक्टेयर जंगल को अतिक्रमण
उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान एक व्यक्ति ने अपने बयान में बताया कि माधुरी बेन ने संगठन के माध्यम से पट्टा दिलवाने के लिए ₹15000 लिए थे। जबकि जागृत आदिवासी दलित संगठन ना ही कोई ट्रस्ट है और ना ही कोई रजिस्टर्ड सोसाइटी है। देश और विदेश कहीं पर भी किसी प्रकार का पंजीयन नहीं है, फिर भी सदस्यों से सदस्यता शुल्क ₹100 से ₹200 तक लेती थी। पैसे का क्या होता है, इसका कोई हिसाब नहीं। जब से माधुरी बेन जिले में सक्रिय हुई है तब से लगभग 10 हजार हेक्टेयर जंगल को अतिक्रमण के उद्देश्य से काटा गया है। जो कि सैटेलाइट इमेज में भी दिखाई देता है। माधुरी बेन के खिलाफ अतिक्रमण के लिए उकसाने हेतु दुष्प्रेरण के 21 प्रकरण वन विभाग ने दर्ज किए।
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