जंगल कटाई का मूल्य रूपए में आंक रहे DFO, डिंडौरी में अवैध कटाई के दोषी कर्मचारियों को रिकवरी की सजा

मध्य प्रदेश के डिंडौरी के जंगलों में इन दिनों अवैध कटाई का सिलसिला जारी है लेकिन जंगल में जिनकी अवैध कटाई रोकने की जिम्मेदारी है उन पर डीएफओ द्वारा केवल रिकवरी की सजा देकर छोड़ने का रवैया अपनाया गया है। यानी जंगल काटने के दोषियों पर प्रशासनिक सख्ती की जगह केवल रिकवरी करके अवैध कटाई करने वालों को खुली छूट दी जा रही है। पढ़िये गणेश पांडेय की रिपोर्ट।

डिंडोरी के जंगलों में अवैध कटाई का सिलसिला जारी है। यहां जिला वनमंडलाधिकारी साहिल गर्ग ने अवैध कटाई के दोषी अपने कर्मचारियों पर रिकवरी की सजा मुकर्र कर रखी है और अवैध कटाई के अपराध में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लिप्त होने के बाद रूपए देकर जंगल की सुरक्षा में तैनात होकर लकड़ी माफिया का साथ दे रहे हैं। सीएम हेल्प लाइन में अवैध रूप से छाल निकाले जाने की शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है।
डिंडौरी, शाहपुर, समनापुर, बजाग, करंजिया में अवैध कटाई
बताया जाता है कि डिंडोरी वन मंडल के डिंडोरी, शाहपुर, समनापुर, बजाग और करंजिया पश्चिम में अवैध कटाई धड़ल्ले से हो रही है। यही नहीं, गुड़नेर नदी के किनारे कौहा के पेड़ों की छाल भी अवैध रूप से निकाली जा रही है। इसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन में 2020 में की गई है परंतु अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
शिकायत पर मौके निरीक्षण में साक्ष्य पर भी कार्रवाई नहीं
मैदानी वन कर्मचारी बताते हैं कि डीएफओ साहिल गर्ग अवैध कटाई की शिकायत आने पर रेंजर और एसडीओ को भेज देते हैं वह स्वयं मौका स्थल पर नहीं जाते। एसडीओ और रेंजर द्वारा की जाने वाली बीट निरीक्षण के दौरान अवैध कटाई के ठूंठ पाए भी जाते हैं तो दोषी वन रक्षकों के खिलाफ कोई सख्त कार्यवाही नहीं हो रही है।
अवैध कटाई के दोषियों को राजनीतिक संरक्षण
सूत्र बताते हैं कि अवैध कटाई के दोषियों को राजनीतिक संरक्षण है और इसमें स्थानीय कांग्रेस विधायक एवं पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम का नाम भी लिया जाता है। यह कहा जाता है कि मरकाम के दबाव में स्थानीय वन अधिकारी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर नहीं कर पाते हैं। अमरपुर के भानपुर में पदस्थ एक वनरक्षक को अवैध कटाई का पाए जाने के बाद भी केवल रिकवरी निकाल कर छोड़ दिया गया। रिकवरी में जो राशि निकाली गई, उसकी आज तक वसूली नहीं हो पाई है। डीएफओ कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार 2020 से 2022 के बीच एक वनरक्षक गंगाराम मारावी को कई बार दोषी पाया गया किंतु डीएफओ फॉरेस्ट गार्ड के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाए हैं।
कार्रवाई करने की कोशिश पर बुरे फंसे रेंजर
ग्राम पंचायत मोहरी के गुधाराम ने अतिक्रमण, कटाई और अवैध परिवहन से संबंधित सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की है। इस शिकायत के निराकरण की जिम्मेदारी डीएफओ ने रेंजर मयंक पांडेय को सौंपी। रेंजर मयंक ने जब कार्रवाई करना चाही तब उनके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर जिला न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया गया। वर्तमान में रेंजर जंगलों की सुरक्षा के बजाय मुकदमा झेल रहे हैं।

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