मध्य प्रदेश में राजनीतिक दल विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी जमावट के तहत एक-दूसरे को कमजोर साबित करने में जुट गए हैं। कांग्रेस ने जिस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ अशोकनगर में सेंध लगाते हुए यादवेंद्र सिंह यादव को दलबदल कराकर पार्टी ज्वाइन कराई थी, उसका भाजपा ने दिग्विजय सिंह के गढ़ राजगढ़ से मोना सुस्तानी व रैगांव से विधायक रहीं उषा चौधरी को दलबदल कराते हुए पार्टी ज्वाइन कराकर जवाब दिया है। बोनस के रूप में भाजपा ने ब्राह्मण विरोधी बयानबाजी के आरोप में निष्कासित प्रीतम लोधी को दूसरे दलों से संपर्क में होने के कारण घर वापसी करा ली है।
मध्य प्रदेश में इन दिनों चुनाव नजदीक आने की आहट तेज हो गई है और कुछ चेहरे दलों के कार्यालयों में पहुंचकर दलबदल कराते नजरआ रहे हैं। पिछले दिनों अशोकनगर से भाजपा परिवार में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जिस तरह सेंध लगाई थी, उसका जवाब आज भाजपा ने तीन तरफा मारकर दिया है। स्व. देशराज सिंह यादव के बेटे यादवेंद्र सिंह यादव ने शक्ति प्रदर्शन करते हुए जिस तरह कांग्रेस ज्वाइन की थी, उस गाजे-बाजे के बजाय दुबके अंदाज में दिग्विजय सिंह के राजगढ़ के करीबी सुस्तानी परिवार की सदस्य मोना सुस्तानी व सीएम बनने के बाद कमलनाथ ने सीएम हाउस में रैगांव की जिस पूर्व विधायक उषा चौधरी को बसपा से कांग्रेस ज्वाइन कराई थी, दोनों भाजपा में पहुंच गई हैं।
सुस्तानी समाज सुधार कार्य भी करती हैं दिग्विजय सिंह के करीबी परिवार सुस्तानी की महिला सदस्य मोना को उन्होंने 2019 में राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र से टिकट दिलाया था लेकिन वे रिकॉर्ड मतों से हार गई थीं। मोना दो जिला पंचायत, एक बार जनपद सदस्य रहीं तो उनके पति ललित भी एक बार जनपद अध्यक्ष रहे। ललित के पिता गुलाब सिंह सुस्तानी दो बार विधायक रहे तथा दिग्विजय सिंह ने उन्हें एक बार निगम अध्यक्ष भी बनाया था। मोना सुस्तानी बाल विवाह और नाथरा प्रथा के खिलाफ समाज सुधार का काम भी करती हैं।
रैगांव में कांग्रेस को टक्कर देंगी उषा कमलनाथ सरकार बनने के बाद फरवरी 2019 में बहुजन समाज पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुई उषा चौधरी को भी भाजपा ने अपने साथ ले लिया है। उषा चौधरी 2013 में बसपा से विधायक बनीं थीं लेकिन 2018 में वे चुनाव हार गईं। इसके बाद कांग्रेस में शामिल हुईं। भाजपा ने कांग्रेस को झटका देते हुए उन्हें पार्टी ज्वाइन कराई और समझा जा रहा है कि वे रैगांव से कांग्रेस के खिलाफ टक्कर देने के लिए पार्टी में पहुंची हैं।
कई दलों के संपर्क में थे लोधी तो भाजपा ने घर वापसी कराई लोधी समाज के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के करीबी प्रीतम लोधी को भाजपा ने ब्राह्मण विरोधी बयान देने पर पिछले वर्ष निष्कासित कर दिया था। इसके बाद भी उनका ब्राह्मण विरोध जारी रहा। उनकी भाजपा में वापसी नहीं होने के कारण वे कांग्रेस और अन्य दलों से संपर्क में थे। सोशल मीडिया पर उनके बड़े-बड़े कार्यक्रमों की वीडियो और दूसरे दलों के नेताओं के साथ बैठकों की तस्वीरों के बाद भाजपा नेतृत्व में चिंता का विषय थी। उनके तेवर अभी भी वैसे ही थे लेकिन समझा जाता है कि राजनीतिक नुकसान से बचने के लिए भाजपा नेतृत्व ने उनकी वापसी का फैसला किया।
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