चीता का भारतवंशी मेहमान भी आशा के गर्भ में, कूनो में जन्म लेगा पहला चीता

भारत में 70 साल पहले जिस चीता को विलुप्त घोषित करार दिया गया था, उसके विदेशी मेहमान तो 17 सितंबर को कूनो में आ गए लेकिन अब भारतवंशी चीता भी जल्द ही आने वाला है। नामीबिया से आए आठ चीता में से एक मादा चीता गर्भवती है और जल्द ही वह भारत की धरती से लुप्त हुए प्रजाति को जन्म देकर स्वदेशी चीता दे सकती है।

नामीबिया से भारत लाये गए आठ चीतों में से एक माता चीता ‘आशा’ गर्भवती है. कूनो में नए मेहमान के जन्म लेने की आशा बंध गई है. चीतों की निगरानी कर रही टीम के अधिकारियों ने उसमें गर्भवस्‍था के लक्षण दिखने की बात कही है. जबकि प्रदेश के अफसर इस खबर को खारिज कर रहे हैं.
नामीबिया से चीतों को भारत लाने में अहम भूमिका निभाने वाले चीता संरक्षण कोष के प्रमुख लॉरी मार्कर ने भी ऐसे संकेत दिए हैं. मार्कर ने बताया, चूंकि आशा नामीबिया में एक प्राकृतिक जंगली वातावरण में रहती थी, इसलिए उसने नामीबिया में ही गर्भधारण किया होगा. यह भारत के लिए दोहरे उपहार की तरह है।गौरतलब है कि 17 सितंबर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के जन्‍मदिवस पर को अफ्रीका के नामीबिया से 8 चीतों को श्योपुर के कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था. प्रधानमंत्री मोदी ने स्‍वयं उन्‍हें बाड़े में छोड़ा था. इसके बाद उन्‍होंने मादा चीता को आशा नाम दिया था. इसके साथ ही अन्य चीतों के नाम रखने की प्रतियोगिता भी आयोजित की जा रही है. जिसमें देश के लोग अपनी पसंद से अन्‍य चीतों के नाम सुझाएंगे.
इनका कहना है
यह संभव है कि नामीबिया में रहते हुए आशा गर्भवती हो गई. मामले में तैयार रहने की तैयारी की जा रही है. हम निश्चित रूप से जल्द ही जान जाएंगे.
सुसान यानेट्टी सीसीएफ ( चीता कंजर्वेशन फंड)

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