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गौ हत्या पर पूरे देश में लगी पाबंदी

केंद्र सरकार ने पूरे देश में गौ हत्या पर बैन लगा दिया है। साथ ही स्लॉटर हाउस में गायों की खरीद-फरोख्त पर नए नियम बनाए गए हैं। यह बदलाव पशु क्रूरता अधिनियम 1960 के अंतर्गत किया गया है।
सरकार ने वध के लिये पशु बाजारों में मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगा दिया है। पर्यावरण मंत्रालय ने पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम के तहत सख्त ‘पशु क्रूरता निरोधक (पशुधन बाजार नियमन) नियम, 2017’ को अधिसूचित किया है। अधिसूचना के मुताबिक पशु बाजार समिति के सदस्य सचिव को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी शख्स बाजार में अवयस्क पशु को बिक्री के लिये न लेकर आये।
किसी भी शख्स को पशु बाजार में मवेशी को लाने की इजाजत नहीं होगी जबतक कि वहां पहुंचने पर वह पशु के मालिक द्वारा हस्ताक्षरित यह लिखित घोषणा-पत्र न दे दे जिसमें मवेशी के मालिक का नाम और पता हो और फोटो पहचान-पत्र की एक प्रति भी लगी हो।’’ अधिसूचना के मुताबिक, ‘‘मवेशी की पहचान के विवरण के साथ यह भी स्पष्ट करना होगा कि मवेशी को बाजार में बिक्री के लिये लाने का उद्देश्य उसका वध नहीं है।’’ पर्यावरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अधिसूचना पशु कल्याण के निर्देश के अनुरूप है।
तीन महीनों में लागू केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए यह नियम अगले तीन महीनों में लागू किए जाने हैं। इनमें कई कागजातों का प्रावधान किया है, हालांकि गरीब-अनपढ़ किसान और गाय-व्यापारी इन झंझटों से कैसे निपटेंगे, यह देखने वाली बात होगी। नए नियम के अनुसार, सौदे से पहले क्रेता और विक्रेता, दोनों को ही अपनी पहचान और मालिकाना हक के दस्तावेज सामने रखने होंगे। गाय खरीदने के बाद व्यापारी को रसीद की पांच कॉपी बनवाकर उन्हें स्थानीय राजस्व कार्यालय, क्रेता के जिले के एक स्थानीय पशु चिकित्सक, पशु बाजार कमेटी को देनी होगी। एक-एक कॉपी क्रेता और विक्रेता अपने पास रखेंगे।
नियमों के मुताबिक अब कोई भी मवेशी को तब तक बाजार में नहीं ला सकता जब तक कि वह यह लिखित घोषणापत्र नहीं देता कि मवेशी को मांस करोबार के लिए हत्या करने के मकसद से नहीं बेचा जा रहा है। मवेशी केवल उस व्यक्ति को ही बेचा जा सकेगा जो दस्तावेज दिखा कर यह साबित करेगा कि वह “कृषक” है।
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