गुजरात चुनाव के बाद मध्य प्रदेश में होगी राजनीतिक जमावट, परफार्मेंस पर शिवराज सरकार में स्थान

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का साल शुरू हो चुका है क्योंकि आज से एक साल बाद नई सरकार का फैसला हो जाएगा। इन 12 महीने में शिवराज सरकार को भाजपा को दोबारा सत्ता में लाने के लिए राजनीतिक जमावट करना होगी जिसके लिए गुजरात चुनाव के नतीजों तक इंतजार किए जाने की संभावना है। पार्टी का अभी पूरा ध्यान गुजरात-हिमाचल प्रदेश में फिर से सरकार बनाने पर है। इसके बाद मध्य प्रदेश सहित पांच राज्यों में 2023 में होने वाले चुनाव का टारगेट होगा।

मध्य प्रदेश में भाजपा की पांचवीं बार सरकार बनने के लिए पार्टी सबसे पहले शिवराज सरकार में परफार्मेंस के आधार पर परिवर्तन करेगी जिसमें क्षेत्रीय, जातीय, गुटीय संतुलन को ध्यान में रखा जा सकता है। गुटीय संतुलन में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों के साथ उसी दौरान कांग्रेस से आए अन्य एमएलए को सरकार में पर्याप्त स्थान देने में भी अब परफार्मेंस पर ज्यादा जोर दिया जाएगा। क्षेत्रीय संतुलन में अभी सरकार में ग्वालियर-चंबल संभाग और सागर संभाग में ज्यादा वजन हो गया है जिससे अन्य इलाकों को प्रतिनिधित्व कम संख्या में मिल पाया है।
31 में से नौ ग्वालियर-चंबल संभाग से
सिंधिया-तोमर-नरोत्तम की वजह से ग्वालियर-चंबल संभाग में ज्यादा संख्या में मंत्री है जिसमें नरोत्तम मिश्रा, यशोधरा राजे सिंधिया, महेंद्र सिंह सिसौदिया, प्रद्युमन सिंह तोमर, अरविंद सिंह भदौरिया, भारत सिंह कुशवाहा, बृजेंद्र सिंह यादव, सुरेश धाकड़ और ओपीएस भदौरिया हैं। इसमें भी शिवपुरी से दो यशोधरा राजे व सुरेश धाकड़, ग्वालियर से प्रद्युमन सिंह व भारत सिंह, भिंड से अरविंद सिंह और ओपीएस भदौरिया हैं। इसी तरह सागर संभाग से गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत, बृजेंद्र प्रताप सिंह के हैं जिनमें से सागर जिले के ही तीन मंत्री भार्गव, भूपेंद्र सिंह, गोविंद सिंह हैं। विंध्य में रीवा-शहडोल संभाग के अनूपपुर से बिसाहूलाल सिंह, उमरिया से मीना सिंह मांडवे, सतना से रामखिलावन हैं। वहीं, भोपाल संभाग से मुख्यमंत्री सीहोर जिले से आते हैं तो भोपाल से विश्वास सारंग, रायसेन से डॉ. प्रभूराम चौधरी और नर्मदापुरम संभाग से कमल पटेल सरकार में मंत्री हैं।
परफार्मेंस के आधार पर कांट-छांट
चुनावी साल शुरू हो जाने से अब शिवराज सरकार में परफार्मेंस के आधार पर कांट-छांट एक मायने में भाजपा के लिए सकारात्मक परिणाम देने वाली हो सकती है तो इससे नुकसान भी हो सकता है। कांट-छांट से कमजोर क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व देकर भाजपा कुछ ताकत दे सकती है मगर जिन क्षेत्रों के मंत्री को हटाया जाएगा उससे पार्टी को संबंधित क्षेत्र में संगठन को और ज्यादा सक्रिय करना होगा।
इन मंत्रियों पर गिर सकती है गाज
शिवराज सरकार में चुनावी जमावट के लिए सरकार में परिवर्तन से ज्यादा नुकसान सिंधिया को होने की संभावना है। उनके समर्थक मंत्रियों में महेंद्र सिंह सिसौदिया सबसे ज्यादा कमजोर कड़ी हैं। उनकी अपने विभाग पर प्रशासनिक पकड़ नहीं है। उनकी फाइलों को अधिकारी तवज्जो नहीं देते हैं। इस संबंध में उनकी मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस से सीधे टकराव की सार्वजनिक रूप से टिप्पणी भी उनके लिए नुकसानदेह हो सकती है। इसके अलावा प्रद्युमन सिंह तोमर पर भी इस परिवर्तन में घाटा हो सकता है। इसी तरह सुरेश धाकड़ भी शिवराज सरकार से बाहर किए जा सकते हैं। वहीं, बुंदेलखंड में शिवराज सरकार में सशक्त जिले सागर को झटका देने की पार्टी नेतृत्व कोशिश से बुंदेलखंड पर असर दिखाई दे सकता है और ऐसे में यहां परिवर्तन की संभावना कम नजर आती है। भोपाल संभाग से डॉ. प्रभूराम चौधरी पर गाज गिरने की आशंका है जो रायसेन जिले के नाराज चल रहे बुजुर्ग नेता गौरीशंकर शेजवार के लिए ताकत देने का काम कर सकती है।

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