किसानों से समर्थन मूल्य पर एक अरब रुपये से अधिक की प्याज खरीदी गई

देवास जिले में प्रशासन की व्यापक व्यवस्थाओं के बीच पिछले सप्ताह तक ग्राम भौंरासा के कृषक श्री मनोज जोशी और श्री जगदीश माली, ग्राम बेड़ामऊ के श्री श्रवण सेंधवा, ग्राम भटौनी के श्री जीतेन्द्र सिंह, हाटपिपल्या के श्री पर्वत सिंह की तरह 20 हजार 199 किसानों ने समर्थन मूल्य पर खरीदी केन्द्रों पर 12 लाख 71 क्विंटल प्याज बेची। खरीदी केन्द्रों पर पुख्ता व्यवस्था के फलस्वरूप इन किसानों को एक अरब रुपये से भी अधिक का भुगतान किया गया।कृषक मनोज पिता चंद्रशेखर जोशी निवासी भौंरासा ने 5 बीघा क्षेत्र में प्याज बोई थी। प्याज के भाव नहीं मिलने से परेशान थे। इसी बीच प्रदेश सरकार ने फैसला लिया कि सभी किसानों से 8 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से प्याज खरीदी जाएगी। मनोज जोशी 18 जून, 26 जून एवं 30 जून 2017 को मंडी में पहुँचे और 650 कट्टे प्याज बेची। प्याज बेचने के लिए उन्हें टोकन दिए गए थे। इसी गाँव के किसान जगदीश माली ने दो बीघा जमीन में प्याज लगाई थी, जिसमें करीब 250 कट्टे प्याज पैदा हुई। अगर सरकार समर्थन मूल्य पर प्याज की फसल खरीदी नहीं करती तो इनकी लागत भी नहीं निकलती। जगदीश माली ने बताया कि उन्हें प्याज उपार्जन में अच्छे दामों में प्याज बेचने से फायदा हुआ।ग्राम बेडामऊ के कृषक श्रवण सेंधव के पास 3 बीघा जमीन है। इन्होंने एक बीघा में प्रशांत नस्ल की प्याज लगाई। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष एक बीघा में ही 150 कट्टे प्याज का बम्पर उत्पादन हुआ। मंडी में 3 रुपए प्रति किलो प्याज ही जा रही थी। क्या थोक भाव, और क्या खेरची, सभी में लागत और मेहनत निकालना मुश्किल था। इन्हें अखबारों से पता चला कि सरकार 8 रुपए प्रतिकिलो के भाव से प्याज खरीदेगी और खरीदी केंद्र भी स्थापित करेगी तो मन में उम्मीद जागी। प्याज की गाड़ी लेकर जब हाटपीपल्या खरीदी केंद्र पहुँचे तो देखी लंबी-लंबी लाइन। प्रशासन की टोकन व्यवस्था देखी तो काम आसान हो गया। श्रवण सेधव ने भी टोकन लिया और वहीं मंडी समिति में कम मूल्य पर उपलब्ध भोजन किया। भोजन पानी की व्यवस्था काफी ठीक थी। श्रवण ने बताया कि वहां जगह कम पड़ने पर खरीदी बंद कर दी गई तो हमने देवास मंडी में आकर प्याज बेची। टोकन की वजह से अफरा-तफरी नहीं हुई।हाटपीपल्या तहसील के ग्राम भटौनी के किसान जितेंद्र सिंह पिता मनोहर सिंह के पास 30 बीघा रकबा जमीन हैं। इनके 2 बीघा में प्रशांत नस्ल की 150 कट्टे प्याज की पैदावार हुई। पानी कम था, इससे पैदावार अन्य कृषकों के मुकाबले थोड़ी कम हुई थी, पर पर्याप्त थी। खरीदी केंद्रों में 8 रुपए किलो का भाव देखकर इन्होंने सीधे मंडी की ओर रूख कर लिया। वहाँ उनकी प्याज उचित मूल्य पर खरीदी गई। खरीदी केंद्रों पर टोकन व्यवस्था अच्छी थी। साथ ही भोजन भी सर्व सुलभ था। हाटपीपल्या के ही कृषक पर्वत सिंह के पास 5 बीघा जमीन है, जिसमें से उन्होंने 2 बीघा जमीन में प्याज लगाई थी। इनका परिवार बरसों ऐसी ही परम्परागत खेती करता आ रहा है। दो बीघा में तकरीबन 250 कट्टे प्याज की यह फसल हुई थी। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष प्याज का उत्पादन कुछ ज्यादा ही हुआ। पर्वत सिंह ने जो प्याज लगाई थी वह एलोरा नैफेड किस्म की थी। जब नजदीक की मंडी में प्याज बेचने गए तो मंडी में प्याज का भाव ठीक नहीं मिल पा रहा था। प्याज बोने की लागत ही जो तकरीबन 25 से 30 हजार रुपए तक आती है, वही वसूल नहीं हो पा रही थी। वाहन भाड़ा और मंडी में लगने वाला समय तो अलग ही है।शासन द्वारा खरीदी केंद्रों पर 8 रुपए प्रतिकिलो का भाव मिला तो बड़ी राहत मिली। जब बेचने गए तो मंडी में टोकन व्यवस्था से काम आसान हो गया। जो टोकन मिला वह हाटपीपल्या का था। जहां जगह फुल हो जाने से खरीदी बंद हो गई। अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि देवास मंडी में भी यह टोकन मान्य होगा। आप जाएं और प्याज बेचें। यहां मंडी समिति की व्यवस्था काफी अच्छी थी। स्वाष्टि भोजन भी 5 रुपए की दर पर मिल गया। इन्होंने 200 कट्टे प्याज सरकारी दर पर बेची। बेची प्याज से लागत एवं किराया भाड़ा भी निकल आया और लाभ भी हुआ।

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