कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस अब अक्टूबर-नवंबर में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट रही है और मध्य प्रदेश में बड़े नेताओं के बीच गिले-शिकवे देखते हुए हाईकमान ने बड़े नेताओं को तलब किया है। नेताओं को 26 मई को दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ एकसाथ बैठक के लिए बुलाया गया है। कर्नाटक की तर्ज पर मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ने उतरने के लिए पार्टी की तरफ से यह संकेत दे दिए गए हैं कि चेहरा नहीं मुद्दों पर वोट मांगे जाएंगे। दिल्ली की बैठक में कौन-कौन जाएंगे, पढ़िये यह रिपोर्ट।
कांग्रेस को कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली जीत संजीवनी का काम कर रही है और अब पार्टी को मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव में कर्नाटक जैसे प्रदर्शन की आस बंधी है। कर्नाटक में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा वाले जिलों में जीत से उत्साहित कांग्रेस अब मध्य प्रदेश के उन जिलों में भी अपनी जीत के प्रति आश्वास्त नजर आ रही है, जहां से यात्रा गुजरी थी। मगर कर्नाटक की जीत और भारत जोड़ो यात्रा के प्रभाव के बावजूद मध्य प्रदेश में पार्टी के गुटीय राजनीति से हाईकमान कोई जोखिम लेना नहीं चाहता है। इसीलिए उसने राज्य के सभी बड़े नेताओं को दिल्ली तलब कर लिया है।
दिल्ली में ये नेता जुटेंगे
26 मई को होने वाली दिल्ली की बैठक में हाईकमान के साथ जिन नेताओं को बुलाया गया है, उनमें प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ही नहीं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी, कांतिलाल भूरिया, अरुण यादव, नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह प्रमुख रूप से शामिल हैं। इन नेताओं के साथ मीटिंग के दौरान प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल, प्रभारी सचिव व पर्यवेक्षकों भी शामिल होंगे।
प्रदेश प्रभारी, प्रभारी सचिव व पर्यवेक्षक दे चुके फीडबैक
बताया जाता है कि हाईकमान के सामने मध्य प्रदेश में पार्टी के संगठन को लेकर मौजूदा हालात पेश किए जा चुके हैं। प्रदेश प्रभारी अग्रवाल, प्रभारी सचिव सीपी मित्तल, संजय कपूर, कुलदीप इंदौरा, संजय दत्त और शिव भाटिया सहित पांचों पर्यवेक्षकों ने एक-एक बार अपने प्रभार वाले क्षेत्रों का दौरा कर लिया है और वास्तविक स्थिति से हाईकमान को अवगत भी करा दिया है। हाईकमान इस फीडबैक के आधार पर बैठक में प्रदेश के बड़े नेताओं से चर्चा करेंगे जिसमें कहा जा रहा है कि कुछ नेता अपने गिले-शिकवे के साथ अपनी बात को रख सकते हैं।
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