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कांग्रेस संगठन की हकीकत, दौरे कर लौटने वाले नेताओं की बातें-रिपोर्ट में जमीन-आसमान का अंतर

कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया पर हर बार सवाल खड़े होते हैं और इस बार भी ये चुनाव इससे बच नहीं पा रहे हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए 17 सितंबर को एक बैठक बुलाई गई है। मगर इसमें जिन डेलीगेट्स को बुलाया गया है उनकी सूची सार्वजनिक नहीं की गई है। न ही उन्हें नामजद आमंत्रण भी भेजे जा रहे हैं। कोरे आमंत्रण से डेलीगेट्स को बुलाया जा रहा है जिससे 487 प्रतिनिधियों की जगह कई गुना नेता मोबाइल फोन में ऐसे आमंत्रण लेकर चुनाव स्थल मानस भवन पहुंच सकते हैं।
कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव को लेकर राष्ट्रीय स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक की प्रक्रिया पर हर बार संदेह की स्थिति बनती है। इस बार भी अब तक जो प्रक्रिया अपनाई गई है, उससे दावा किया जा रहा है कि सदस्यता बिलकुल सही सही हुई है लेकिन पार्टी के इस दावे को उनके ही नेतागण अपने दौरों में बकवास पाते हैं। जिलों में जिन नेताओं को प्रभार सौंपा गया था जैसे-जैसे वे अपनी रिपोर्ट लेकर पीसीसी पहुंच रहे हैं, उनके अनुभव बताते हैं कि कांग्रेस कागज पर ज्यादा मजबूत दिखाई दे रही है। यही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को कागज से दिखाया जा रहा है।
कागज में सबकुछ सही
जिलों से लौट रहे प्रभारी नेताओं की बातों और कागजी रिपोर्टों में जमीन आसमान का अंतर है। बातों में वे पार्टी की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हैं। कहते हैं कि मंडलम-सेक्टर जमीन पर दिखाई नहीं दे रहे हैं। सदस्यता बनाने में राशि जमा करने का ध्यान रखा गया। सदस्यता के आंकड़े हैं लेकिन उनको सत्यापित करने वाले कागजों की कमी नजर आती है।
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