कांग्रेस में मुख्यमंत्री के चेहरे पर राय देने वालों में अब पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का नाम भी जुड़ गया है। 2023 नए साल में कांग्रेस ने प्रदेश भर में नया साल नई सरकार के होर्डिंग-पोस्टर लगाए थे जिनमें भावी मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ की फोटो व नाम लिखा गया था। ये पोस्टर-होर्डिंग अब कांग्रेस में ही विवादों में घिरते जा रहे हैं क्योंकि रोज कोई न कोई बड़ा नेता अपनी राय देकर मुख्यमंत्री चेहरे की परंपरा बताता रहता है।
विधानसभा चुनावों में कुछ समय से मुख्यमंत्री के चेहरे को सामने रखकर राजनीतिक दल चुनाव मैदान में उतरती हैं। भाजपा में प्रधानमंत्री के लिए नरेंद्र मोदी के चेहरे से दो चुनाव लड़े जा चुके हैं तो मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए 2003 में उमा भारती का चेहरा पेश किया गया था। इसके बाद 2008 से 2018 तक शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर भाजपा विधानसभा चुनाव लड़ी है। कांग्रेस में यह अब तक कभी नहीं हुआ है लेकिन 2023 विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में कमलनाथ समर्थकों ने अपने नेता कमलनाथ को मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने के लिए जनवरी की पहली तारीख को होर्डिंग-पोस्टर पूरे राज्य में लटका कर नई बहस शुरू कर दी है।
प्रदेश प्रभारी अग्रवाल का आया था पहला बयान
भावी मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ को दिखाने वाले होर्डिंग-पोस्टर को लेकर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल का सबसे पहला बयान आया था। उन्होंने पार्टी के सिस्टम की बात कहते हुए बयान दिया था कि विधायक दल में ही नेता का चयन होता है और वही मुख्यमंत्री होता है। इसके बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने अपने चेहरे को अच्छा बताते हुए इस बहस में अपना बयान दिया। उन्होंने भी मुख्यमंत्री चुने जाने के लिए कांग्रेस की परंपरा के बारे में बताया। आज पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने इसी लाइन में अपना बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है कि जब भी चुनाव होता है तो विधायक दल में ही उसका चुनाव होता है। उन्होंने कहा कि वे अपने लिए यह कहना चाहते हैं कि वे भावी विधायक बनना चाहते हैं।
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