मध्य प्रदेश में 2018 में कांग्रेस का साथ देने वाले आदिवासी संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) दो फाड़ हो गए हैं और इससे कांग्रेस को भारी झटका लग सकता है। जयस का जो धड़ा तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसी राव की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के साथ जुड़ा है उसमें संस्थापक सदस्य विक्रम अचालिया और राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दा है। जयस की इस फूट से आदिवासी विधानसभा सीट ही नहीं उसके प्रभाव वाली कुल 80 सीटों पर इसका असर दिखाई देगा। आईए बताते हैं जयस क्या है और उसकी फूट का क्या होगा विधानसभा चुनाव 2023 पर असर।
जय आदिवासी युवा शक्ति यानी जयस करीब एक दशक से आदिवासियों के बीच पैठ बनाए है जिसमें आदिवासी नहीं होकर भी डॉ. आनंद राय इससे सीधे जुड़े रहे। युवा आदिवासियों को सलाह मशविरा भी देते रहे। व्यापमं घोटाले में व्हीसिलब्लोअर बनकर चर्चा में आए राय का राजनीतिक जुड़ाव पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से रहा है और जयस का राजनीतिक झुकाव भी कांग्रेस की तरफ रहा। जयस की राजनीतिक भागीदारी के लिए 2018 में उसके नेताओं ने चुनाव मैदान में उतरने की बात शुरू की और कांग्रेस से समझौते के तहत अपने अध्यक्ष डॉ. हीरालाल अलावा को टिकट दिलाया। जयस की शक्ति विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस को मिली और आदिवासी सीटों के मदद से सरकार पर काबिज भी हुई।
तीन साल से जयस को कमजोर करने में जुटी थी भाजपा
कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद सत्ता में आई भाजपा आदिवासी वोटबैंक पर अपना प्रभाव बढ़ान के लिए तीन साल से कोशिशें कर रही है। इसके तहत उसने मुख्यमंत्री निवास से लेकर राजभवन तक में आदिवासी समाज के लिए काम करने वाले पूर्व अधिकारियों व मौजूदा अधिकारियों की टीम लगा रखी है। राज्यपाल के रूप में एक आदिवासी नेता की नियुक्ति की है। आदिवासी समाज के बिरसा मुंडा, टंट्या मामा, रघुवीर-शंकर शाह से लेकर रानी कमलापति को लेकर सरकार ने कई घोषणाएं कीं और नामकरण किए हैं।
जयस में पर्दे के पीछे काम करने वालों पर नजर रखी
जयस संगठन को पर्दे के पीछे रहकर सहयोग करने वाले लोगों पर नजर रखकर उन्हें दबाव में लाया गया। डॉ. आनंद राय को जेल में भेजा गया और उनकी सरकारी नौकरी को छीना गया। इसी तरह जयस के गुटों में फूट डालकर बांटने की कोशिश की गई। राय ने कांग्रेस का साथ छोड़कर तेलंगाना के सीएम केसीआर की पार्टी बीआरएस का दामन थाम लिया और उनके साथ जयस के संस्थापक सदस्य विक्रम अचालिया व राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेंद्र मुजाल्दा सहित करीब आधा दर्जन लोगों ने केसीआर से मुलाकात कर पार्टी ज्वाइन की।
आगे क्या हो सकता है
जयस संगठन के पूर्व अध्यक्ष व कांग्रेस विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने इस फूट के बाद खबरसबकी डॉट कॉम से चर्चा करते हुए कहा कि डॉ. राय संगठन में कुछ ऐसे लोगों को पदाधिकारी बना लेता था जिनके माध्यम से संगठन पर दबाव बनाकर रखे। उसके जाने से जयस संगठन कमजोर नहीं होगा। वहीं, जयस की फूट से भाजपा को नुकसान नहीं होगा बल्कि इसका जो भी नुकसान होगा, वह कांग्रेस पार्टी को होगा। जयस के संस्थापक विक्रम के बीआरएस में चले जाने पर अगर मध्य प्रदेश में बीआरएस आदिवासी सीटों पर प्रत्याशी खड़े करती है तो उसे जो भी वोट मिलेगा, वह कांग्रेस के हार-जीत के अंतर पर सीधे असर डालेंगे।
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