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कांग्रेस के लिए लड़ने वालों को अकेला छोड़ती पार्टी, ‘राजा’ के बाद पटवारी शिकार

जब कोई नेता अपनी पार्टी के लिए कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने और विपक्ष पर हमला करने के लिए भाषण या वक्तव्य देता है तो वह खुद के लिए नहीं करता। ऐसे समय उस नेता तो पार्टी से पीछे खड़े रहने की अपेक्षा होती है लेकिन कांग्रेस में नेताओं के पार्टी के लिए प्रतिपक्ष को घेरने की गतिविधियां कुछ समय से व्यक्तिगत रूप से परेशानियां खड़ी कर रही हैं। दिग्विजय सिंह से लेकर राजा पटैरिया और अभी जीतू पटवारी ऐसे घटनाक्रमों के शिकार हुए हैं। जानिये इन नेताओं के साथ कब क्या हुआ।
राजनीतिक दलों की अपनी लाइन होती है जिसके अंदर दल के नेताओं-कार्यकर्ताओं को चलना होता है। कई बार नेता अति उत्साह में इन लाइनों को पार कर जाते हैं। कई इसमें मुद्दे की संवेदनशीलता से पार्टी पल्ला झाड़ लेती है। कुछ समय से विपक्ष पर हमलों को लेकर मध्य प्रदेश के नेताओं के साथ कांग्रेस का राष्ट्रीय और प्रदेश नेतृत्व जिस तरह का रवैया अपना रहा है, उसको लेकर कार्यकर्ताओं भी असमंजस में दिखाई देने लगा है।

दिग्विजय सिंहः भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जब दिग्विजय सिंह ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल किए तो उनके साथ सार्वजनिक रूप से वरिष्ठ नेता जयराम नरेश ने वक्तव्य देने से रोका। बाद में राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी उनके वक्तव्य को उनका व्यक्तिगत विचार बताया। हालांकि दिग्विजय सिंह ने जिस समय यह बयान दिया तब भारत जोड़ो यात्रा का अंतिम पड़ाव था और पूरी यात्रा में राहुल गांधी व अन्य नेता किसी भी संवेदनशील मामले पर बात कहने से बचते रहे थे।

राजा पटैरियाः वे कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित कर रहे थे। उन्हें संबोधन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने का वक्तव्य देकर वे भी विपक्ष से घिर गए थे। उनके इस वक्तव्य के कुछ घंटे बाद ही प्रदेश कांग्रेस ने उनके निष्कासन के नोटिस का पत्र जारी कर दिया जो कि आज तक वापस नहीं हुआ है। वे काफी समय जेल में रहे लेकिन प्रदेश नेतृत्व की तरफ से अधिकृत रूप से कोई भी उनकी खैरियत पूछने नहीं गया। आज भी वे निष्कासन पत्र वापस नहीं होने से कांग्रेस दफ्तर से दूरी बनाए हैं कि कहीं पार्टी से कोई सवाल नहीं कर ले।

जीतू पटवारीः उनके खिलाफ भाजपा नेता विधानसभा के भीतर हो या बाहर सड़क पर हमेशा लामबंद रहते हैं। पटवारी विपक्ष पर तीखे हमले करते रहते हैं। हालांकि उनका लहजा बेहद ही खराब होता है लेकिन विपक्ष में नेता की भूमिका अच्छी तरह से निभाते दिखाई देते हैं। सदन के भीतर उनके वक्तव्य में अमर्यादित बातें हुईं जिससे वे बजट सत्र में निलंबित चल रहे हैं। उनके निलंबन को समाप्त करने की दिशा में अब तक पार्टी नेतृत्व की तरफ से कोई पहल नहीं की गई है।
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