मध्य प्रदेश में कांग्रेस का जिला स्तरीय संगठन बिखरता दिखाई दे रहा है। कुछ जगह असंतोष है तो कुछ जगह बदलाव पर नेतृत्व फैसला लेने में डांवाडोल नजर आ रहा है। कुछ जिलों में तो गुटीय राजनीति ऐसी हावी है कि विधानसभा चुनाव में वहां संगठन के बंट जाने पर परिणाम पार्टी के पक्ष से इतर भी जा सकते हैं। पढ़िये एक विशेष रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के भोपाल में बैठे नेता अपनी सरकार के सपने संजो रहे हैं लेकिन कई जिलों में संगठन की हालत खराब होती जा रही है। कांग्रेस की पुरानी समस्या गुटीय राजनीति फिर मुंह फाड़ने लगी है और इसका जिला स्तर के संगठन पर असर भी दिखाई देने लगा है। जिलों के संगठन को लेकर नेतृत्व के फैसले भी समय पर नहीं हो पाने से स्थिति दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है।
भोपाल में जिला अध्यक्ष पर नेताओं में टकराव
जिला स्तर के संगठन में भोपाल से ही लें तो यहां जिला अध्यक्ष को बदलने के लिए कई महीनों से कवायद चल रही है। चर्चा है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी के बीच इसको लेकर टकराव के हालात हैं। कहा जा रहा है कि दिग्विजय सिंह अपने पुराने समर्थक पीसी शर्मा के साथी पार्षद मोनू सक्सेना को जिला अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं तो पचौरी अमित मिश्रा के लिए अड़े हैं। हालांकि कैलाश मिश्रा को फिलहाल नहीं हटाए जाने का एक मत है। ऐसे में भोपाल जिला कांग्रेस कमेटी विधानसभा चुनाव नजदीक होने के बाद भी मैदान में सक्रिय नजर नहीं आ रही है।
इंदौर में प्रभारी के सहारे कांग्रेस
प्रदेश का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण जिला इंदौर है जहां कांग्रेस का पूर्णकालिक जिला अध्यक्ष कई महीनों से नहीं है। इसकी जिम्मेदारी जिला प्रभारी महेंद्र जोशी के पास है। इससे इंदौर जिला कांग्रेस कमेटी के संगठन में वैसे सक्रियता नजर नहीं आ रही है जो औद्योगिक राजधानी में पहले कभी दिखाई देती थी। इस क्रम में निमाड़ के खंडवा में काफी लंबे समय तक खींचतान मची रही थी और कुछ दिन पहले हाईकमान ने यहां नियुक्ति कर विवाद पर पर्दा डालने की कोशिश की है।
उज्जैन में संगठन प्रमुख को प्रदेश नेतृत्व को चुनौती देने पर हटाया
वहीं, कुछ दिनों से उज्जैन जिले में भी संगठन द्वारा प्रदेश नेतृत्व को चुनौती दे रहा था और एक ऑडियो वायरल होने के बाद रविवार को जिला अध्यक्ष पर गाज गिरी। उन्हें दिन में नोटिस दिया गया और देर शाम को सभी पदों के दायित्व से मुक्त कर दिया गया। वायरल ऑडियो के आधार पर दोपहर में जिला अध्यक्ष को नोटिस दिया गया था लेकिन विवाद की जड़ नूरी खान के दबाव में सीधी कार्रवाई कर दी गई।
बुंदेलखंड के तीन जिलों में संगठन बिखरा
बुंदेलखंड के तीन जिलों पन्ना, टीकमगढ़ और छतरपुर में संगठन बिखरा-बिखरा सा नजर आता है। पन्ना में तो जिला अध्यक्ष के खिलाफ कुछ समय के दौरान मोर्चा तक निकाला जा चुका है। टीकमगढ़ में टिकट की दावेदारों के बीच जिला संगठन बंटा हुआ है जिसमें जिला अध्यक्ष की भूमिका पक्षपात की बताई जा रही है। वहीं, छतरपुर जिले में विधायक विरुद्ध जिला अध्यक्ष का विवाद अब तक शांत नहीं हुआ है जबकि इसमें प्रदेश नेतृत्व हस्तक्षेप भी कर चुका है।
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