मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में कुछ महीने बचे हैं और सरकार के निगम-मंडल, बोर्ड, परिषद, सहकारी संस्थाओं और अन्य अर्द्ध शासकीय संस्थाओं के कर्मचारी सरकार से अपने हितों को लेकर आर-पार की लड़ाई के मूड में दिखाई दे रहा है। अपनी मांगों को सरकार से मनवाने के लिए ये आंदोलन की रणनीति तैयार करने जा रहे हैं जिसके लिए 20 मार्च को भोपाल में प्रांतीय सम्मेलन होने वाला है। जानिये क्या है यह कर्मचारी क्या चाहते हैं।
मध्य प्रदेश के सेमी गवर्नमेंट एम्प्लाइज फेडरेशन के अध्यक्ष अनिल बाजेपयी, उपाध्यक्ष ओपी वर्मा और निगम-मंडल दैनिक वेतन भोगी प्रकोष्ठ सम्मेलन के प्रदेश संयोजक सुरेश दुबे के मुताबिक प्रदेश में निगम-मंडल, बोर्ड, परिषद, सहकारी संस्थाएं एवं अर्ध शासकीय संस्थाओं में सालों से काम कर रहे दैनिक भोगी कर्मचारियों की हालत खराब है। आउटसोर्स पर काम लिए जाने से सालों काम करने के बाद भी दैनिक वेतनभोगी स्थायी कर्मचारी नहीं बन पा रहे हैं। सरकार से अब कर्मचारियों की मांगों को लेकर रणनीति बनाने के लिए प्रांतीय सम्मेलन 20 मार्च को बुलाया गया है। इसमें आंदोलन की रूपरेखा पर विचार किया जाएगा।
यह है मांगेंः
- प्रदेश के विभिन्न निगम मंडल बोर्ड परिषद सहकारी संस्थाओं एवं अर्ध शासकीय संस्थाओं में वर्तमान में आउटसोर्स प्रथा समाप्त की जाए।
- 10 वर्ष से अधिक समय से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को स्थाई कर्मी घोषित किया जाए।
- रिक्त पदों पर 10 से 15 वर्षों से अधिक समय से कार्यरत स्थाई कर्मियों को नियमित कर्मचारी घोषित किया जाए। जहां पद रिक्त नहीं है वहां काम कर रहे दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को फिक्स वेतन पर नियुक्ति दी जाए।
- जो दैनिक वेतन भोगी श्रमिक कर्मचारी कई बरसों से निगम मंडल एवं शासन की सेवा में कार्य करते हुए आयु सीमा पार कर चुके हैं ऐसे समस्त दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को सेवा पृथक नहीं करने तथा जिन कर्मचारियों को सेवा पृथक कर दिया गया उन्हें पुनः में लिया जाए।
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