मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले सरकारी कर्मचारी सरकार पर दबाव बनाने और चुनाव में भाजपा-कांग्रेस को अपनी शक्ति दिखाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। आज पहले चरण में कर्मचारियों के पांच संगठनों ने प्रदेशभर में संयुक्त रूप से पेंशन व कर्मचारियों की अन्य मांगों को लेकर मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन सौंपे गए और अगले चरण में 29 अप्रैल को भोपाल में धरना दिया जाएगा। जानिये कर्मचारियों की क्या हैं मांगें।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और सरकारी कर्मचारी अपनी लंबित मांगों को लेकर अब आंदोलन पर उतारू हो गए हैं। आज प्रदेशभर में सरकारी कर्मचारियों के पांच संगठनों द्वारा जिलास्तर पर रैली निकालकर मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन सौंपे गए। इस तरह कर्मचारियों ने अपनी शक्ति प्रदर्शन किया और अब 29 अप्रैल को ये कर्मचारी भोपाल में एकत्रित होकर धरना देने वाले हैं। आज भोपाल सहित इंदौर, धार, बैतूल, अशोक नगर से मिली जानकारी के मुताबिक वहां कर्मचारी नेताओं ने एकजुट होकर रैली निकाली और प्रशासन को सीएस के नाम ज्ञापन सौंपे हैं। भोपाल में मंत्रालय तक रैली निकालकर कर्मचारियों ने मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन सौंपा। भोपाल में मप्र, पेशनर्स समाज के कार्यवाहक प्रांतीय अध्यक्ष सह जिला अध्यक्ष एस, के, चतुर्वेदी, कार्यवाहक जिला अध्यक्ष शिवकुमार पटेल, तहसील अध्यक्ष गाड़रवारा डी, पी, मिश्रा, तहसील अध्यक्ष तेंदूखेड़ा अनंत सिंह पटेल, मप्र, तृतीय वर्ग अध्यक्ष 5ठाकुर नरेन्द्र सिंह, मप्र, लघु वेतन कर्मचारी संघ उप प्रांतीय अध्यक्ष विरजू जाटव, जिला अध्यक्ष नारायण सिंह पटेल, लिपिक वर्गीय अध्यक्ष प्रकाश साहु, वाहन चालक संघ अध्यक्ष नरेश दोहरे आदि आंदोलन में शामिल हुए।
17 सूत्रीय मांगों में प्रमुख मांगें
- महंगाई भत्ता
- महंगाई राहत
- वाहन भत्ता
- पुरानी पेंशन बहाली
- लिपिकों की वेतन विसंगति
- सीबीडीटी की अनिवार्यता खत्म करने
- दैनिक वेतनभोगियों व संविदा कर्मचारियों को नियमितीकरण
- टैक्सी प्रथा समाप्त की जाए
- आउटसोर्स प्रथा बंद की जाए
- चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को कार्यालय सहायक पदनाम दिया जाए
- पेंशनर्स को मंहगाई राहत में धारा 49 के नाम पर देरी की बाधा दूरी की जाए।
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