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कर्नाटक की एक हजार साल पुरानी यक्षगान शैली में श्रीरामकथा, कठपुतली से भी प्रस्तुति

अंतर्राष्ट्रीय श्रीरामलीला उत्सव में आज कर्नाटक की एक हजार साल पुरानी यक्षगान शैली के माध्यम से श्रीरामकथा के विभिन्न प्रसंगों की प्रस्तुति दी गई। इस शैली में पात्र 15 से लेकर 20 किलोग्राम वजन के आभूषणों के साथ पारंपरिक वेशभूषा में प्रसंगों को मंच पर पेश करते हैं। आज कठपुतली से भी श्रीरामकथा के प्रसंगों को प्रस्तुत किया गया।
रवींद्र भवन मुक्ताकाश मंच पर अंतर्राष्ट्रीय रामलीला उत्सव का आज पांचवां दिन था। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग एवं भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद्, नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित इस उत्सव में कर्नाटक के उड्डुपी के श्रीरामलीला मंडल ने राम के वनगमन, सीताहरण, जटायु प्रसंगों की प्रस्तुति दी। एक हजार साल पुरानी यक्षगान शैली मंदिर से गुरुकुल आई है जिसका उपयोग पहले मंदिर में आराधना के लिए किया जाता था। बाद में यह स्कूल और गुरुकुल में पहुंची जिसमें मनोरंजन नहीं बल्कि इसके द्वारा देवी-देवताओं की आराधना की जाती है। पहले इसमें संवाद का उपयोग होता था लेकिन वर्तमान पीढ़ी की शैली से जोड़ने के लिए संवाद को कम कर शारीरिक मुद्राओं और भाव को बढ़ाया गया।
कठपुतली की प्रस्तुति
20 अक्टूबर को सुश्री लता व्यास एवं साथी, भोपाल द्वारा मालवी गीतों में श्रीराम एवं गणपत सखराम मसगे, महाराष्ट्र द्वारा कठपुतली प्रस्तुति दी गई। गायिका सुश्री लता व्यास एवं साथी, भोपाल द्वारा मालवी गीतों में श्रीराम में उन्होंने सेवा मनाली (गणपति भजन)…, से की। अगले क्रम में कलाकारों ने थोड़ा नेड़ा बरसो…, थारी उमर बीती…, झूलो वान्धयो…, सड़क पर (वर निकासी)…, भीलनी की झोपड़ी…, रामजी का वास्ते भोजन थाला सजावांगा…, अंबर जाज्या देवी देवीता…,गीतों एवं भजनों की प्रस्तुति दी। मंच पर गायन में सुश्री लता व्यास, सह-गायन में सुश्री राधा मेहता, सुश्री स्मिता दवे, सुश्री करूणा सिसोदिया एवं वायलिन पर राजेंद्र व्यास, ढोलक पर रघुवीर सिंह, हारमोनियम पर जितेंद्र शर्मा ने संगत की।
शूपर्णखा, सीताहरण, जटायू वध प्रसंग कठपुतली से
अगली प्रस्तुति गणपत सखराम मसगे, महाराष्ट्र द्वारा कठपुतली प्रदर्शन की दी गई। उन्होंने प्रस्तुति की शुरूआत गणेश वंदना से की, जिसमें भगवान श्रीगणेश की पूजा अर्चना की। साथ ही कठपुतली प्रदर्शन में रामलीला की प्रस्तुति दी, जिसमें श्रीरामकथा के शूर्पणखा प्रसंग, माता सीताहरण और जटायू वध प्रसंग को कठपुतली के माध्यम से प्रस्तुत किया। बातचीत में बालकृष्ण गणपत मसगे ने बताया कि प्रस्तुति के दौरान लगभग 20 से अधिक कठपुतलियों का प्रयोग किया गया, जो करीब 150 साल पुरानी कठपुतली हैं। उन्होंने कहा कि कठपुतली प्रदर्शन की परंपरा उनके यहां 500 साल पुरानी है। वे इस परंपरा की 6वीं पीढ़ी हैं। वे स्ट्रिंग पपेट, लैदर पपेत, चित्रकथी कठपुतली प्रदर्शन करते है।
श्रीहनुमान कथा की चौपाइयों और दोहों को 42 चित्रों में समेटा
उत्सव अंतर्गत पहली बार श्री हनुमान चालीसा आधारित “संकटमोचन” चित्र प्रदर्शनी का संयोजन किया गया है। श्रीहनुमान के महान चरित को पहली बार चित्रात्मक रूप से अभिव्यक्त करने का कार्य मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा किया गया है। चित्र सृजन का कार्य ख्यात चित्रकार श्री सुनील विश्वकर्मा-वाराणसी के द्वारा किया गया है। प्रदर्शनी में उनके द्वारा बनाये 42 चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। श्री विश्वकर्मा की विशिष्टता भारतीय आध्यात्मिक चरितों को पूर्ण शुचिता के साथ अभिव्यक्त करने की रही है।
दो दिन और क्या
21 अक्टूबरः हिन्दू प्रचार केंद्र, त्रिनिदाद एंड टोबैगो के कलाकार द्वारा श्रीरामकथा, श्रीरघुनाथजी लीला प्रचार समिति, पुरी (उड़ीसा) द्वारा श्रीराम-सुग्रीव मित्रता, हनुमान-रावण संवाद एवं लंका दहन प्रसंग की प्रस्तुति दी जायेगी।
22 अक्टूबरः श्री सत्संग रामायण ग्रुप, फिजी द्वारा श्रीरामकथा एवं श्री आदर्श रामलीला मंडल, सतना (म.प्र) द्वारा लक्ष्मण शक्ति, मेघनाथ-रावण वध एवं श्रीराम राज्याभिषेक प्रसंग मंचित करेंगे।
लोकराग की प्रस्तुतियाँ
21 अक्टूबर को अभिषेक निगम एवं साथी, उज्जैन द्वारा भक्ति गायन एवं श्री मनीष यादव एवं साथी सागर द्वारा बरेदी नृत्य प्रस्तुति
22 अक्टूबर को रूद्रकांत ठाकुर एवं साथी, सिवनी द्वारा भक्ति गायन एवं सुश्री श्वेता अग्रवाल एवं साथी रीवा द्वारा अहिराई नृत्य प्रस्तुति
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