चार साल पहले चर्चा में आए आयकर छापे के बाद अश्विनी शर्मा ने गुरुवार की रात क्राइम ब्रांच पुलिस और मीडिया से जुड़े लोगों पर फायरिंग की। क्राइम ब्रांच धोखाधड़ी के एक मामले के आरोपी का पीछा करते हुए प्लेटिनम प्लाजा पहुंची थी कि वहां अश्विनी शर्मा से झड़प हो गई और फायरिंग के बाद उन्होंने पुलिसकर्मियों से गाली गलौच व हाथापाई भी की। पढ़िये रिपोर्ट।
अश्विनी शर्मा के यहां चार साल पहले आयकर के छापे पड़े थे। इस बार वे क्राइम ब्रांच व मीडिया से जुड़े लोगों पर फायरिंग करने से चर्चा में आ गए हैं। करीब डेढ़ करोड़ रुपए के लेन-देन के मामले में क्राइम ब्रांच एक आरोपी सोनू पचौरी का पीछा करते हुए प्लेटिनम प्लाजा की पार्किंग में पहुंची थी जहां अश्विनी शर्मा ने फायरिंग दी। इसके बाद क्राइम ब्रांच और मीडिया से जुड़े लोगों के साथ अश्विनी शर्मा ने गाली-गलौच करते हुए धमकी। हंगामे के दौरान जिसकी तलाश में क्राइम ब्रांच प्लेटिनम प्लाजा पहुंची थी वह मौका पाकर भाग गया।
अश्विनी शर्मा की फर्श से अर्श का सफर अश्विन शर्मा ने करीब ढाई दशक पहले नए भोपाल शहर में डीटीपी काराेबार शुरू किया था। उसके पिता डॉ. चंद्रहास शुक्ला जयप्रकाश अस्पताल से शिशु राेग विशेषज्ञ थे। रिटायरमेंट के बाद हर्षवर्धन नगर में सेंटल हो गए थे और उसके बाद ही अश्विनी ने दुकान ली थी। इस बीच उसने भोपाल के प्रभावशाली नेताओं और अफसरों से दोस्ताना संबंध बनाना शुरू किए। उनसे संबंध के लिए उसने दिखावा शुरू किया। अफसरों के साथ उठना-बैठना शुरू हुआ तो कृषि, हेल्थ, पंचायती राज, ग्रामीण आजीविका मिशन सहित दूसरे सरकारी दफ्तरों में काम शुरू किया। एक एनजीओ भी रजिस्टर्ड करा लिया। एनजीओ की शुरुआत के बाद अश्विन ने दिनों दिन कमाई बढ़ाई। एनजीओ के लिए भरपूर फंड मिला बल्कि नेताओं के संपर्क से ट्रांसफर उद्योग में भी शामिल गया।
शर्मा पर क्यों मेहरबान है जंगल महकमा जंगल महकमा अश्वनी शर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने से कतरा रहा है।जबकि भोपाल सत्र न्यायालय से उसकी अग्रिम जमानत भी रद्द हो गई है। बावजूद इसके, शर्मा की गिरफ्तारी नहीं हो पा रही है। सूत्र बताते हैं कि सत्ता के रसूख में अपनी पकड़ रखने वाले अश्वनी शर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए वन विभाग के अफसर किंकर्तव्यविमूढ़ है। सूत्रों का कहना है कि पहले कमलनाथ एक करीबी सिपहसालार शर्मा के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए दबाव बना रहे थे सत्ता परिवर्तन के बाद अब भी उन पर कार्रवाई न करने का दबाव बनाया जा रहा है
चार साल पहले यह हुआ था 9 अप्रैल 2019 को आयकर विभाग की टीम ने प्लेटिनम प्लाजा निवासी अश्विन शर्मा के फ्लैट न. बी 67में रेड की थी। मौके से हवाला कारोबार का खुलासा हुआ था। 10 करोड़ रुपए से ज्यादा नगद जब्त करने के साथ टीम को लग्जरी गाड़ियां, महंगी शराब और ट्राफियां (वन्य प्राणियों की खाल) मिली थी। इनमें बाघ की मुंह की एक ट्रॉफी, संभार के सींग सहित एक ट्राॅफी, सांभर सींग की दो ट्रॉफी , चिंकारा सींग की एक ट्रॉफी एवं चीतल की एक पूरी एक खाल ( कुल 6 नग ) थी। जब्त की गई ट्राॅफियों को भोपाल उड़नदस्ता को सौंपा गया था। इस मामले में भोपाल वन मंडल को अश्विन शर्मा की ओर से दस्तावेज सौंपे गए थे। लगभग 11 माह तक चली जांच के बाद वन विभाग ने पाया कि प्रस्तुत दस्तावेज फर्जी हैं।
गुना जिले में 1973 का रिकाॅर्डनहीं मिला अश्विन शर्मा ने अपने पिता स्व.सीएच शर्मा के नाम से 12 मार्च 1973 को ट्राॅफियों के पंजीयन के लिए दिया गया घोषणा पत्र सौंपा था। इसमें जागीरदार का पता कुम्भराज जिला गुना का लिखा हुआ था। और यह घोषणा पत्र मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक भोपाल को पेश करना बताया गया था। वन विभाग ने जब इन दस्तावेजों की जांच की तो न तो इनका पंजीयन विभाग में होना पाया गया और न ही उसके स्थानांतरण से जुड़े कोई दस्तावेज मिले थे।
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