मध्य प्रदेश जैसे वन संपदा से समृद्ध राज्य के टाइगर, चीता, तेंदुआ और घड़ियाल स्टेट का दर्जा मिलने के बावजूद यहां कटे जंगल, बढ़ते अतिक्रमण और पिटते वन अमले की घटनाओं पर सरकारी बंधन में बंधे अफसर चुप्पी साधे हैं लेकिन इसकी चिंता रिटायर्ड आईएफएस अधिकारियों ने की है। ये रिटायर्ड वन अधिकारी न केवल चिंतित हैं बल्कि उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान को एक लंबी चौड़ी चिट्ठी भी भेज दी है। अब देखना यह है कि रिटायरमेंट के बाद प्रदेश की वन संपदा की चिंता में डूबे अधिकारियों की चिट्ठी क्या रंग लाती है। पढ़िये किन अधिकारियों ने क्या लिखा चिट्ठी में।
सेवानिवृत्त आईएफएस अफसरों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम लिखे पत्र में उनके प्रतिदिन एक पेड़ लगाने के अनूठे अभियान की प्रशंसा करते हुए संविधान के अनुच्छेद 48 (A) का उल्लेख किया है। संविधान में इस अनुच्छेद में वन एवं वन्य प्राणियों का संरक्षण करने के बारे में लिखा है कि राज्य के सभी अंगों का दायित्व है। मुख्यमंत्री से बुरहानपुर और अन्य जिलों में हो रही सामूहिक अतिक्रमण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने का आग्रह किया है। हमें इस बात का गर्व है कि देश में सबसे अधिक वन समृद्धि के मामले में मध्यप्रदेश अब्बल है। इसके अलावा टाइगर स्टेट, चीता स्टेट, तेंदुआ स्टेट और घड़ियाल स्टेट का दर्जा प्राप्त है।
पीसीसीएफ से लेकर सीसीएफ स्तर के कई अधिकारियों के हस्ताक्षर
प्रदेश में पहली बार सेवानिवृत्त आईएफएस अफसरों ने एकजुट होकर मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखा है। पत्र में हस्ताक्षरित 30 से अधिक रिटायर्ड आईएफएस अफसरों में प्रधान मुख्य वन संरक्षक से लेकर मुख्य वन संरक्षक स्तर के अधिकारी शामिल हैं। अपने पत्र में इन अफसरों ने लिखा है कि वन अधिकार अधिनियम 2006 के प्रावधानों को पुनर्विचारण में लाए जाने के कारण ग्रामीणों और अतिक्रमणकारियों को बल मिल रहा है। वनाधिकार अधिनियम के प्रावधानों में यह स्पष्ट है कि 13 दिसंबर 2005 के बाद वन भूमि पर किसी भी कब्जे का नियमितीकरण नहीं किया जा सकता है। आगे यह भी उल्लेख किया है कि वन विभाग की सूचना एवं प्रौद्योगिकी तकनीक द्वारा पूर्व में और वर्तमान में उपलब्ध सेटेलाइट चित्रों इसकी पुष्टि की जा सकती है। इसके साथ ही आंध्र और तेलंगाना के उच्च न्यायालय ने हाल ही में ऐसे मामलों में मैं वन अधिकार अधिनियम 2006 के प्रावधानों को सख्ती से पालन किया जाए। इस अधिनियम में नियम विरुद्ध पट्टे बांटने पर सजा के प्रावधान का भी उल्लेख है।
वन भूमि और कर्मियों पर हमला राज्य पर हमला
अपने पत्र में रिटायर्ड आईएफएस अफसरों ने संविधान की धारा 48 (A) का जिक्र करते हुए है कि इसमें राज्य पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने तथा देश के वनों और वन्यजीवों की रक्षा करने का प्रयास करेगा। एक प्रकार से रिटायर्ड अफसरों ने सरकार को आईना दिखाते हुए पिटते वन कर्मियों और सामूहिक अतिक्रमण का उल्लेख किया है। इस संबंध में लटेरी घटना और बुरहानपुर में सामूहिक अतिक्रमण के मामले का उल्लेख किया है। पत्र में लिखा है कि बुरहानपुर में ढाई हजार हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जा हो गया है। बुरहानपुर के अलावा, छिंदवाड़ा खंडवा खरगोन सहित कई जिलों में जंगलों की कटाई और सामूहिक अतिक्रमण हो रहे हैं। अगर इन्हें अभी नहीं रोका गया तो फिर मध्य प्रदेश के जंगलों के नष्ट होने से कोई नहीं रोक पाएगा। वन अधिकारियों पर बढ़ते हमले, पेड़ों की कटाई आर वन भूमि पर सामूहिक अतिक्रमण की बढ़ती वारदातों से हम सभी अफसर निराश और चिंतित हैं। पत्र में हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख लोगों में राजेश श्रीवास्तव, यू प्रकाशम, धर्मेंद्र शुक्ला, आलोक कुमार, जगदीश चंद्रा, बीपीएस परिहार, जेपी शर्मा, बीके मिश्रा, बी एन पांडे, गोपा पांडे, चितरंजन त्यागी, एमके सिन्हा, बिधान चंद्र, कौशलेंद्र सिंह और आरपी सिंह प्रमुख है।
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