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एमपी के बाद राजस्थान में भी आ सकता है भूचाल, गहलोत-पायलट एपीसोड का हो सकता है खात्मा

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के मध्य प्रदेश में पहुंचने के तीसरे दिन जिस तरह से कांग्रेस को नरेंद्र सलूजा के रूप में झटका मिला है उसी तरह राजस्थान में भी पार्टी की भीतर कलह के चल रहे एपीसोड का खात्मा होने की संभावनाएं व्यक्त की जाने लगी हैं। राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत-सचिन पायलट के बीच खींची तलवारें राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के वहां पहुंचने के पहले ही मियानों से बाहर आ सकती हैं। गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के बाद मिले झटके को शायद अभी तक भूले नहीं हैं और यह माना जा रहा है कि वे ऐसे वक्त का इंतजार कर रहे हैं जो उनके लिए ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचा सके और कांग्रेस को अधिकतम नुकसान हो। भारत जोड़ो यात्रा इसके लिए सबसे ज्यादा अच्छा अवसर भी हो सकता है और उनके हाल ही में दिए गए बयान को ऐसे मौके के पहले का हवा का झोंका कहा जा रहा है।
राजस्थान में 2018 में जब से कांग्रेस की सरकार बनी है तब से ही अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तनातनी चल रही है। कहा जाता रहा कि दोनों के ढाई-ढाई साल के सीएम का आपसी समझौता था लेकिन जब यह समय बीत गया तो फिर पायलट के समर्थक अपने नेता को सीएम बनाने की समय-समय पर मांग उठाने लगे। खुद पायलट भी इसको लेकर हाईकमान से चर्चाएं भी करते रहे। मगर गहलोत ने पायलट को उनकी सरकार को गिराने के लिए भाजपा से राशि लेने के आरोप लगाकर उन्हें सीएम की कुर्सी देने से मना किया और अभी भी वे इसी बात को लेकर पायलट के लिए मुख्यमंत्री का पद देने को तैयार नहीं हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के ऑफर पर समर्थकों से बागी तेवर दिखाए
अशोक गहलोत को हाईकमान ने कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के दौरान पार्टी का नेतृत्व करने का ऑफर दिया था जिस पर उनकी सहमति भी हो गई थी। उस समय गहलोत ने हाईकमान के ऑफर को अप्रत्यक्ष रूप से ठुकरा दिया और अपने समर्थक विधायकों से इस्तीफा दिलाकर पायलट को सीएम बनाए जाने का विरोध कराया। हालांकि गहलोत ने विधायकों के इस्तीफे पर सफाई भी दी कि विधायक नहीं चाहते कि सरकार को गिराने की कोशिश करने वाला कोई मुख्यमंत्री बने औऱ इसे विधायकों की अनुशासनहीनता भी स्वीकार की थी। मगर साथ ही उन्होंने अपने समर्थकों की इच्छा पर सीएम पद नहीं छोड़ने का फैसला हाईकमान को बता दिया और कांग्रेस अध्यक्ष बनने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उस चुनाव के दौरान कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें कई दिनों तक मिलने का समय नहीं दिया और वे दिल्ली में नेताओं से मिलने के डेरा भी डाले रहे।
अब भारत जोड़ो यात्रा के राज्य में प्रवेश के पहले फिर पायलट पर बयान
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा इन दिनों मध्य प्रदेश में है जहां कांग्रेस को तीसरे दिन भाजपा ने झटका दिया है। पीसीसी चीफ कमलनाथ के विश्वस्त और उनके मीडिया समन्वयक के रूप में मुख्यमंत्री, मंत्रियों व भाजपा नेताओं पर तीखे प्रहार करने वाले नरेंद्र सलूजा को भाजपा ने तोड़कर अपने साथ ले लिया। उलटा सलूजा के माध्यम से यह संदेश दिया कि कमलनाथ सिख दंगों में शामिल रहे हैं और इस वजह से सिख समाज उनसे नाराज है। भारत जोड़ो यात्रा के नफरत-हिंसा के खिलाफ होने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए कमलनाथ जैसे सिख दंगों के आरोपी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने की मांग कर दी है। यही स्थिति राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के पहुंचने के पहले वहां बनती दिखाई दे रही है। गहलोत ने सचिन पायलट को उस समय गद्दार बताया जब वे राहुल गांधी की यात्रा के मध्य प्रदेश पहुंचने पर उनके साथ कदमताल करते नजर आए। राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि ऐसे गद्दार को वे सीएम की कुर्सी नहीं देंगे। उनके ऐसे मौके पर दिए गए इस बयान को अगले महीने भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान पहुंचने के पहले या उसी दौरान कांग्रेस में बड़ा भूचाल आने का संकेत बताया जा रहा है। अब दिसंबर 2023 में राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार पर सबकी नजर रहेगी और जब तक भारत जोड़ो यात्रा वहां से रवाना नहीं हो जाती तब तक कांग्रेस नेताओं-कार्यकर्ताओं की धड़कनें तेज होती रहेंगी।
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