आमतौर पर यह देखा जाता है कि पीएफ से जब कोई कर्मचारी राशि निकालने की सोचता है तो उसे कई तरह के नियम बताए जाते हैं लेकिन उज्जैन सेंट्रल जेल में जिस तरह कर्मचारियों के खातों से राशि निकाली गई वैसी व्यवस्था हो जाए तो कोई यहां-वहां भटके नहीं। यह व्यथा उन कर्मचारियों की है जिनके खातों से घोटाला करने वालों ने हजार-दो हजार नहीं बल्कि लाखों में राशि निकाली। आईए ऐसे कुछ लोगों से हमारे द्वारा की गई बातचीत से सामने आई स्थिति से आपको रूबरू कराते हैं।
उज्जैन महाकाल की नगरी में सेंट्रल जेल के उन कर्मचारियों पर आज मुसीबत का पहाड़ टूट गया है जिनके पीएफ खातों में जिंदगी भर की जमापूंजी घोटालेबाजों ने निकाल ली है। जनवरी 2023 में ट्रांसफर होकर सेंट्रल जेल आए प्रमुख प्रहरी संतोष शुक्ला कहते हैं कि वे तो दो महीने पहले ही यहां आए हैं और उनके खाते से 14.50-14.50 लाख रुपए दो बार निकाले गए। अब उनके खाते में अपनी पीएफ की राशि नहीं है बल्कि वे देनदार बन गए हैं। उन्हें करीब 14 लाख रुपए पीएफ खाते में जमा करना पड़ेंगे जब उनके खाते में हिसाब चुकता हो सकेगा।
तीन महीने बाद रिटायरमेंट और पीएफ खाते में उनकी देनदारी बची
सेंट्रल जेल के सुरेशचंद मरमट का जून 2023 में रिटायरमेंट है। मगर घोटालेबाजों ने उनके पीएफ खाते में जमा राशि 14 लाख 39705 रुपए के बैलेंस को देनदारी वाली राशि में बदल दिया है। 27 अक्टबर 2021 को उनके पीएफ एकाउंट से 13 लाख तो 17 मई 2022 को 14 लाख रुपए की राशि निकाल ली गई। इस तरह करीब साढ़े बारह लाख रुपए उन्हें पीएफ खाते में जमा करना होंगे उनके पीएफ एकाउंट की देनदारी खत्म हो पाएगी।
पीएफ में बैलेंस था दो लाख निकाल लिए 27 लाख
पीएफ घोटालेबाजों ने जेलकर्मियों के खातों में उपलब्ध राशि से कई गुना ज्यादा राशि निकाल ली और कहीं किसी भी स्तर पर उन्हें रुकावट नहीं हुई। मुख्य प्रहरी सतीश तिवारी बताते हैं कि उनके खाते में केवल दो लाख रुपए थे लेकिन धोखेबाजों ने उनके खाते से 27 लाख रुपए निकाल लिए। इस तरह सतीश तिवारी पीएफ के 25 लाख रुपए के देनदार हो गए हैं। इसी तरह प्रहरी गोवर्धन सिंह के पीएफ खाते से मई 2022 में सात लाख और जुलाई 2022 में 12 लाख रुपए निकाले गए।
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