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आयुष कॉलेज प्रवेश घोटाला : अब डॉक्टर शुक्ला के बहाली की तैयारी

मध्य प्रदेश में बहुचर्चित आयुष कॉलेज प्रवेश घोटाले में शामिल आधा दर्जन आरोपियों में से निलंबित एकमात्र आरोपी डॉक्टर शोभना शुक्ला की बहाली संबंधित फाइल मंत्रालय में मूव कर रही है. आयुष राज्यमंत्री रामकिशोर कावरे भी बहाल करने के पक्ष में है. फिलहाल डॉक्टर शुक्ला निलंबन आदेश के विरुद्ध कोर्ट से स्थगनादेश ले रखा है. इस प्रकरण में ओआईसी बनाए गए होम्योपैथिक के प्राचार्य एसके मिश्रा का कहना है कि इसके को वेकेट कराने के लिए शासन से कोई निर्देश नहीं मिले हैं.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर कराई गई जांच में 5 साल लग गए थे. जांच रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर शोभना शुक्ला, डॉक्टर वंदना बोराना, डॉक्टर जेके गुप्ता, डॉक्टर नीतू कुशवाहा और डॉ सैयद अब्दुल नईम दोषी करार दिए गए थे. आयुष विभाग ने राजनीतिक रसूख के चलते डॉ वंदना बोराना, डॉक्टर जेके गुप्ता और डॉक्टर सैयद अब्दुल नईम को कारण बताओ नोटिस देकर रस्म अदायगी की. जबकि मैनेजमेंट गुणा-भाग में अनफिट रहीं डॉक्टर शोभना शुक्ला को निलंबित कर दिया था. निलंबन आदेश मैं तकनीकी त्रुटि की वजह से डॉक्टर शुक्ला को कोर्ट से स्थगनादेश आसानी से मिल गया. होम्योपैथिक के प्राचार्य एसके ने 2 महीने से अधिक का समय बीत जाने के बाद अभी तक स्टे को वेकेट नहीं कराया है. मिश्रा शासन के आदेश की प्रतीक्षा में है. राजनीतिक दबाव के चलते अन्य आरोपियों के खिलाफ विभाग कोई कार्यवाही न कर सका. अब डॉक्टर शुक्ला को भी बहाल करने की प्रक्रिया तेज हो गई है.
क्या है पूरा मामला
इस पूरे मामले की जांच कमेटी ने पड़ताल की तो पता चला कि आयुष संचालनालय, मेडिकल यूनिवर्सिटी (Medical university) के अधिकारियों की सांठगांठ से इस घोटाले (Scame) को अंजाम दिया गया है. वर्ष 2016 से 2018 तक आयुष कॉलेजों में हुए एडमिशन संबंधी जब जानकारी जुटाई गई तो 1292 अपात्र छात्रों को एडमिशन (Ayush Collage admission) देने का मामला सामने आया. इसमें 2016 और 2017 में जो निजी आयुष कॉलेज एमपी ऑनलाइन (MP online) की काउंसिलिंग में शामिल नहीं हुए थे. उन्होंने अवैध तरीके से 1120 छात्रों को प्रवेश दे दिया. वर्ष 2018-19 से नीट (NEET) परीक्षा अनिवार्य होने के बावजूद निजी आयुष कॉलेजों ने गलत तरीके से छात्रों को आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी के निजी कॉलेजों में सीधे प्रवेश दे दिया गया. तत्कालीन आयुक्त एवं मेडिकल यूनिवर्सिटी संदेह के दायरे में प्रवेश घोटाले में तत्कालीन आयुक्त शिखा दुबे एमपी अग्रवाल की भूमिका भी संदेह के दायरे में है. इस घोटाले के लिए बनी जांच समिति शामिल सदस्यों की हैसियत इतनी बड़ी नहीं थी कि वह आयुष आयुक्त की भूमिका की जांच कर सके. जांच समिति की जांच केवल कक्ष प्रभारियों तक सिमट कर रह गई है. जबकि आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर से काउंसलिंग की सूची भेजी गई थी. कक्ष प्रभारियों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन काउंसलिंग की सूची मिलान करके समिति के पास भेज दी गई. समिति के अप्रूवल के बाद सूची को तत्कालीन आयुष मंत्री रहे रुस्तम सिंह और जालम सिंह पटेल नोट शीट पर दी गई सिफारिश पर तत्कालीन आयुक्तों ने एडमिशन की सूची पर अंतिम हस्ताक्षर किए हैं. यानी कक्ष प्रभारियों की गलतियों पर समिति के सदस्य और आयुक्त ने अभी उस पर मुहर लगा दी.
इनका कहना
मुझे डॉक्टर शोभना शुक्ला के प्रकरण में ओआईसी बनाया गया. शासन से कोई आदेश नहीं मिले इसलिए स्टे को वेकेट कराने की पहल नहीं की.
एसके मिश्रा, प्राचार्य होम्योपैथिक कॉलेज भोपाल
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