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‘आकार’ माटी के खिलौने पर एकाग्र शिल्प शिविर

आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद,भोपाल द्वारा जनजातीय संग्रहालय में ‘आकार‘ माटी के खिलौने पर एकाग्र शिल्प शिविर में आज सभी कलाकारों ने अलग—अलग प्रदेशों के शिल्पकारों ने अपने प्रदेश के पारंपरिक खिलौनों का सृजन किया । इस शिविर में शिल्पकारों ने अपनी कला कौशल से सुन्दर खिलौनों का निर्माण किया।
अतिथि राज्य उड़ीसा से आये श्री अनंतराम राणा ने अपने खिलौनों में उड़ीसा की सांस्कृति पर भद्र माह ¼भादव अमावस्या½ पर होने वाले त्यौहार में लंका पोड़ी ¼भगवान हनुमान जी का एक रूप½ जिसमें लंका में हनुमान जी की पूछ में लगी आग से पूरी लंका जल जाती है। अनंतराम राणा ने प्रथा अनुरूप लंका पोड़ी का रूप खिलौने में तैयार किया जिससे कि बच्चे खेल—खेल में इस प्रथा के बारे में जान पाते हैं। इसके अलावा उन्होंने ढिमकी ¼धान से चावल बनाने वाली ओखली½ पहले प्रयोग में थी इसे अपने खिलौने में उतारा। इनके खिलौनों में बंदर और उसके बच्चे,छोटे गणपति, बच्चों के साथ बैठी स्त्री का रूप तैयार किया। अंनतराम राणा ने यह कला अपने पिता के सानिध्य में सीखी वे बचपन से ही शिल्पकला में संलग्न हैं। छतरपुर से श्री दीवदीन प्रजापति ने अपने खिलौनों में ट्रैकटर, ट्रॉली, कुत्ता, भालू, बिल्ली,साईकिल रिक्शा पर बैठे सवार और यात्री के खिलौनों के चित्रण का सृजन किया। अन्य सभी पारंपरिक शिल्पकारों ने शिविर में भागीदारी ली।
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