अनाथ बच्चों के लिए सरकार सहायता राशि देती है लेकिन महिला बाल विकास विभाग का स्टाफ पात्र बच्चों से रिश्वत मांगने से नहीं चूकता है। खंडवा में ऐसे ही दो नाबालिग बच्चों से महिला बाल विकास विभाग के दो कर्मचारियों ने सहायता राशि में से 70 फीसदी हिस्सा रिश्वत में मांगा जिन्हें लोकायुक्त पुलिस ने राशि लेते हुए गिरफ्तार किया। पढ़िये रिपोर्ट।
खंडवा के सत्रह साल के एक नाबालिग राठौड़ युवक और उसकी बहन के पिता की मृत्यु हो गई थी जिसके बाद सरकार की योजना के तहत दोनों को पढ़ाई के लिए सरकारी सहायता राशि 56 हजार रुपए स्वीकृत हुई थी। कोरोना महामारी या अन्य कारण से मौत के बाद अनाथ हुए बच्चों को मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना के तहत हर महीने पढ़ाई के लिए चार हजार रुपए की राशि दी जाती है और राठौड़ व उसकी बहन को सात महीने की राशि एकसाथ स्वीकृत हुई तो महिला बाल विकास विभाग के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज कुमार दिवाकर व डाटा एंट्री ऑपरेटर संजय जगताप ने उसमें से 36 हजार रुपए की मांग की। नाबालिग राठौड़ को दिवाकर व जगताप ने 36 हजार रुपए की राशि देने के बाद उन्हें हर महीने मिलने वाली राशि के नियमित रूप से मिलने का वादा किया था लेकिन राशि नहीं देने पर आगे यह लाभ नहीं मिलने की बात कही थी। नाबालिग ने इस संबंध में लोकायुक्त विशेष पुलिस स्थापना के इंदौर पुलिस अधीक्षक सब्यसाची सर्राफ को शिकायत की जिसका उन्होंने सत्यापन कराया और उसके आधार पर शुक्रवार को योजनाबद्ध ढंग से दिवाकर व जगताप को 36 हजार रुपए की राशि लेते हुए गिरफ्तार किया।
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