अंतर्राष्ट्रीय रामलीला उत्सव का तीसरा दिनः बैले, भरतनाट्यम नृत्य से रामायण की प्रस्तुतियाँ

श्रीरामकथा के विविध प्रसंगों एकाग्र सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रीरामलीला उत्सव के तीसरे दिवस 18 अक्टूबर,2022 को लास्या आर्ट्स अकादमी (मलेशिया) द्वारा रामायणम् तथा डॉ. लता सिंह मुंशी एवं साथी भोपाल द्वारा श्रीरामकथाः भरतनाट्यम नृत्य की प्रस्तुति दी गई।

मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग एवं भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् नई दिल्ली के सहयोग से रवींद्र भवन मुक्ताकाश मंच तथा परिसर में आयोजन किया गया है। दल के कलाकारों ने ताड़का वध, सीता स्वयंवर, श्रीराम-लक्ष्मण द्वार ऋषिमुनि विश्वामित्र शिक्षा प्राप्त, वन गमन, शूर्पणखा वध, मारीच वध, माता सीता हरण, जटायु युद्ध, सुग्रीव मिलन, लंका सेतु एवं श्रीराम राज्याभिषेक प्रसंगों की प्रस्तुति दी। कलाकारों ने भरनाट्यम एवं बैले नृत्य के माध्यम से रामायण के विविध प्रसंगों को मंच पर प्रस्तुत किया। वर्ष 2003 से स्थापित अकादमी विभिन्न ग्रंथों, साहित्य पर आधारित प्रस्तुति दे रहे हैं। अकादमी के कलाकार लगभग 6 से अधिक देशों में प्रस्तुति दे चुके हैं। प्रस्तुति के दौरान कलाकारों ने पताका, त्रिपताका, अर्धपताका, मयूराष, अर्धचन्द्र, मुष्टि, कापित्ता, सूचि, चन्द्रकला, पद्मकोषा, मृगशिरा एवं अन्य भरतनाट्यम की मुद्राओं तथा बैले के हाव-भाव, पद संचलन और शरिरिक संतुलन बनाकर प्रस्तुति दी।

डॉ. लता सिंह मुंशी एवं साथी द्वारा भरतनाट्यम नृत्य के माध्यम प्रस्तुति
अगले क्रम में डॉ. लता सिंह मुंशी एवं साथी भोपाल द्वारा श्रीरामकथाः भरतनाट्यम नृत्य के माध्यम से रामायण के विभिन्न प्रसंगों को प्रस्तुत किया गया। कलाकारों ने शुरूआत मंगलाचरण से की। इसके बाद श्रीराम जन्म, बाल्यकाल, ऋषिमुनि विश्वामित्र से शिक्षा प्राप्त, ताड़का एवं मारीच वध, सीता स्वंयवर, श्रीराम वन गमन, सीता हरण, जटायु वध, श्रीराम और श्रीहनुमान मिलन, राज्याभिषेक प्रसंग प्रस्तुत किये। प्रस्तुति में श्रीराम आरती और उसके बाद मंगलम प्रस्तुति में विश्व के मंगल की कामना करते मंगल भवन मंगल हारी…., चौपाई से प्रस्तुति का समापन किया। यह प्रस्तुति शास्त्रीय नृत्य शैली में रही। इस लीला में महिला नृत्य़ांगनाओं ने राम, रावण, लक्ष्मण, जटायु, हनुमान का किरदार निभाया। इसके साथ ही भाव, अभिनय, मुद्रा के माध्यम से लीला के प्रसंगों की प्रस्तुति दी गई।

शीला त्रिपाठी एवं साथी द्वारा बघेली गीतों में श्रीराम की प्रस्तुति
18 अक्टूबर को दोपहर प्रस्तुति में सुश्री शीला त्रिपाठी एवं साथी, भोपाल द्वारा बघेली गीतों में श्रीराम की प्रस्तुति दी गई। उन्होंने धनी-धीनी नगर अयोध्या…, जनम लिहिन रघुराइया…, सखियां चला चल दर्शन का…, उतरत माघ लगत फाल्गुन…, कौशल्या के कुंवर सलोना…, अजु ब्याहन अई है राम…, ऐ जी नगर अयोध्या …, मैय्या झूले झूलना…, एवं अन्य गीतों की प्रस्तुति दी। मंच पर गायन में सुश्री शीला त्रिपाठी, सह-गायन में उमा वर्मा, मनीषा वर्मा एवं हारमोनियम पर मांगीलाल ठाकुर, की-बोर्ड पर पंकज राव, बांसुरी पर सुमित प्रजापति, तबला पर अभय ठाकुर, ढोलक पर मोहित ठाकुर, परकशन पर अनुराग शर्मा ने संगत की।  अगले क्रम में नेहरू युवा नव जागृति नव युवक मंडल, बासाकलास पथरिया के श्री घूमन पटेल एवं साथी द्वारा कानड़ा नृत्य प्रस्तुति दी। कानड़ा नृत्य (बुंदेली गम्मत) परंपरिक नृत्य है। बुन्देलखंड में  उत्सव, तीज, त्योहार, जन्म, विवाह, देवी जागरण के समय इस नृत्य की प्रस्तुति दी जाती है। प्रस्तुति में सारंगी, लोटा, मंजीरा, झीका, हारमोनियम, नगड़िया एवं अन्य वाद्ययंत्रों का प्रयोग कर कलाकार घूमते हुये नृत्य करते हैं।यह दल लगभग 20 वर्षों से इस नृत्य की प्रस्तुति दे रहा है।

“संकटमोचन” चित्र प्रदर्शनी
श्रीहनुमान कथा की चौपाइयों और दोहों को 42 चित्रों में समेटाउत्सव अंतर्गत पहली बार श्री हनुमान चालीसा आधारित “संकटमोचन” चित्र प्रदर्शनी का संयोजन किया गया है। श्रीहनुमान के महान चरित को पहली बार चित्रात्मक रूप से अभिव्यक्त करने का कार्य मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा किया गया है। चित्र सृजन का कार्य ख्यात चित्रकार श्री सुनील विश्वकर्मा-वाराणसी के द्वारा किया गया है। प्रदर्शनी में उनके द्वारा बनाये 42 चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। श्री विश्वकर्मा की विशिष्टता भारतीय आध्यात्मिक चरितों को पूर्ण शुचिता के साथ अभिव्यक्त करने की रही है।

शुरूआत लास्य आर्ट्स अकादमी (मलेशिया) द्वारा रामायणम् से

कार्यक्रम की शुरूआत कलाकारों के स्वागत से की गई। इस दौरान सिरोंज विधायक उमाकांत शर्मा, संचालक संस्कृति अदिति कुमार त्रिपाठी, उप-संचालक सुश्री वंदना पाण्डेय, सहायक संचालक सुश्री वंदना जैन, विशेष रूप से सुश्री इंदिरा भादुड़ी एवं अन्य अधिकारी, कर्मचारी बड़ी संख्या में श्रोता और दर्शक उपस्थित रहे। प्रस्तुति की शुरूआत लास्य आर्ट्स अकादमी (मलेशिया) द्वारा रामायणम् से की गई।


185 से अधिक शिल्पी दीपावली के अवसर पर दीपोत्सव मेला अंतर्गत 185 से अधिक शिल्पी विविध माध्यमों के शिल्प एवं वस्त्र, टेराकोटा, बांस, लोहा, पीतल, तांबा एवं अन्य धातु से बने उत्पादों का प्रदर्शन और विक्रय किया गया। शिल्प मेले में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, गुजरात, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, कश्मीर, दिल्ली एवं अन्य राज्यों के बुनकर और शिल्पकारों ने हिस्सा लिया है। सभी शिल्पी अपने-अपने विशिष्ठ शिल्पों के साथ इस मेले में पधारे हैं। शिल्पों में प्रमुख रूप से दीपों के त्योहार में उपयोग की जाने वाली सामग्री जैसे दीपक, हैंगिंग लाइट्स, हैंगिंग डेकोरेटिव आइटम्स इत्यादि हैं। साथ ही बनारसी साड़ी, चंदेरी साड़ी, भोपाली बटुये, जरी-जरदोजी, मिट्टी के खिलौने, गोंड-भील एवं मधुबनी पेंटिंग, साज-सज्जा आइटम, मेटल आयटम, बांस से बने शिल्प, सिरेमिक आर्ट इत्यादि भी खास हैं। दीपोत्सव मेले में बिहार से आए श्री चंदन ठाकुर ने बताया कि वे सिक्की घास से बने हुए शिल्प लेकर आए हैं। उन्होंने बताया की सिक्की घास एक खास तरह की घास होती है, जो सिर्फ सावन के महीने में ही नदी के किनारे उगती है। इस घास को तोड़कर इससे विभिन्न प्रकार के शिल्प बनाए जाते हैं। इनमें प्रमुख रूप से आभूषण पेटी, टी कोस्टर, रोटी बॉक्स, पेन होल्डर, हैंगिंग आइटम्स, पेपर वेट इत्यादि शिल्प तैयार किये जाते हैं। दीपोत्सव मेले में आये भोपाल के श्री हेमंत भसीन, जो कि दिव्यांग हैं, वे स्वयं के तैयार किये हुये डेकोरेटिव आइटम्स, वॉल हैंगिंग, वॉच, एम्ब्रायडरी आइटम इत्यादि लेकर आये हैं। उन्होंने बताया कि शिल्प कला का उन्होंने कोई प्रशिक्षण नहीं प्राप्त नहीं किया है, वे स्वयं से ही प्रशिक्षित हैं तथा 4 अन्य दिव्यांगों को उन्होंने प्रशिक्षित कर रोजगार दिलाने में प्रमुख भूमिका निभायी है।

स्वाद- व्यंजन मेलाउत्सव अंतर्गत स्वाद- व्यंजन मेला में बघेली व्यंजन में पानी वाला बरा-चटनी, रसाज, बुंदेली व्यंजन में गोरस, बिजोरा, गुलगुला एवं राजस्थानी व्यंजन में जोधपुरी प्याज की कचौरी, मिर्ची बड़ा, छोले टिक्की, बिहारी व्यंजन में लिट्टी-चोखा, मराठी व्यंजन एवं सिंधी तथा भील एवं गोण्ड जनजातीय समुदाय के व्यंजन भी शामिल हैं। वहीं लोकराग के अंतर्गत नृत्य, गायन एवं कठपुतली प्रदर्शन की गतिविधियाँ प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से रवींद्र भवन परिसर में आयोजित की जायेंगी। कार्यक्रम में प्रवेश निःशुल्क है एवं आप सादर आमंत्रित हैं। 

सात दिवसीय उत्सव में किस दिन क्या

19 अक्टूबर  खोन रामायण  ग्रुप, थाइलैंड द्वारा श्रीरामकथा, उत्तर कमलाबाड़ी सत्र शंकरदेव क्रिस्टी संघ, माजुली (असम) द्वारा पुष्पवाटिका, धनुष यज्ञ, सीता स्वयंवर प्रसंग

20 अक्टूबर श्रीरामलीला मंडल, उड्डुपी (कर्नाटक) द्वारा वनगमन, सीताहरण, जटायु प्रसंग

21 अक्टूबर हिन्दू प्रचार केंद्र, त्रिनिदाद एंड टोबैगो के कलाकार द्वारा श्रीरामकथा, श्रीरघुनाथजी लीला प्रचार समिति, पुरी (उड़ीसा) द्वारा श्रीराम-सुग्रीव मित्रता, हनुमान-रावण संवाद एवं लंका दहन प्रसंग की प्रस्तुति दी जायेगी।

22 अक्टूबर–  श्री सत्संग रामायण ग्रुप, फिजी द्वारा श्रीरामकथा एवं श्री आदर्श रामलीला मंडल, सतना (म.प्र) द्वारा लक्ष्मण शक्ति, मेघनाथ-रावण वध एवं श्रीराम राज्याभिषेक प्रसंग मंचित करेंगे।

लोकराग के अंतर्गत नृत्य, गायन एवं कठपुतली प्रदर्शन अंतर्गत दोपहर की प्रस्तुतियाँ

19 अक्टूबर को सुश्री संदीपा पारे एवं साथी, भोपाल द्वारा निमाड़ी गीतों में श्रीराम एवं श्री दिलीप मासूम एवं साथी, भोपाल द्वारा कठपुतली प्रस्तुति

20 अक्टूबर को सुश्री लता व्यास एवं साथी, भोपाल द्वारा मालवी गीतों में श्रीराम एवं श्री गणपत सखराम मसगे, महाराष्ट्र द्वारा कठपुतली प्रस्तुति 

21 अक्टूबर को श्री अभिषेक निगम एवं साथी, उज्जैन  द्वारा भक्ति गायन एवं श्री मनीष यादव एवं साथी सागर द्वारा बरेदी नृत्य प्रस्तुति

22 अक्टूबर को श्री रूद्रकांत ठाकुर एवं साथी, सिवनी द्वारा भक्ति गायन एवं सुश्री श्वेता अग्रवाल एवं साथी रीवा द्वारा अहिराई नृत्य प्रस्तुति

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