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अंतरर्राज्य परिषद् की ग्यारवीं बैठक में प्रधानमंत्री के उद्घाटन भाषण के मुख्य अंश
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री गण व उप-राज्यपाल और कैबिनेट के मेरे सहयोगी, इंटर स्टेट काउंसिल की इस अहम बैठक में सम्मिलित होने के लिए आप सभी का मैं एक बार फिर स्वागत करता हूं।
ऐसे मौके कम ही आते हैं जब केंद्र और राज्यों का नेतृत्व एक साथ एक जगह पर मौजूद हो। आम जनता के हितों पर बात करने के लिए, उनकी मुश्किलों के निपटारे के लिए, एक साथ मिलकर ठोस फैसला लेने के लिए Cooperative Federalism का यह मंच, बेहतरीन उदाहरण है। यह हमारे संविधान निर्माताओं की दूरदृष्टि को भी दर्शाता है।
मैं, करीब 16 साल पहले इसी मंच से कही गई पूर्व प्रधानमंत्री और हमारे श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की बात से शुरु करूंगा, वाजपेयी जी ने कहा था कि-
“भारत जैसे बड़े और विविधता से भरे हुए लोकतंत्र में Debate यानि वाद-विवाद, Deliberation यानि विवेचना और Discussion यानि विचार-विमर्श से ही ऐसी नीतियां बन सकती हैं जो जमीनी सच्चाई का ध्यान रखती हों। ये तीनों बातें, नीतियों को प्रभावी तरीके से अमल में लाने में भी मदद करती हैं। इंटर स्टेट काउंसिल एक ऐसा मंच है जिसका इस्तेमाल नीतियों को बनाने और उन्हें लागू करने में किया जा सकता है। इसलिए लोकतंत्र, समाज और हमारी राज्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए, इस मंच का प्रभावी उपयोग किया जाना चाहिए” ।
निश्चित तौर पर इंटर स्टेट काउंसिल, Centre-State और Inter-State Relations को मजबूत करने का सबसे बड़ा मंच है। हालांकि 2006 के बाद लंबे अंतराल तक ये बैठक नहीं हो पाई, लेकिन मुझे खुशी है कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी ने इस प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का प्रयास किया। पिछले एक साल में वे देश भर की पाँच आंचलिक परिषदों की बैठक बुला चुके हैं। इस दौरान संवाद और संपर्क का सिलसिला बढ़ने का ही नतीजा है कि आज हम सभी यहां इकट्ठा हुए हैं।
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