मध्य प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन तो हो गया है लेकिन संगठन में नए प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की पकड़ मजबूत नहीं हो पा रही है और इसकी मुख्य वजह अब तक बदलाव नहीं होना बताया जा रहा है। अब तो प्रदेश प्रभारी से लेकर नए प्रदेश अध्यक्ष के आदेशों पर अमलीजामा देने में भी संगठन टालमटोल जैसा रवैया अपनाता नजर आ रहा है। पढ़िये रिपोर्ट।
कांग्रेस हाईकमान ने विधानसभा चुनाव के बाद युवा नेतृत्व के हाथों में मध्य प्रदेश की कमान सौंपी है लेकिन संगठन में प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी अब तक युवा नेतृत्व जैसी छाप नहीं छोड़ सके हैं। जीतू पटवारी दो महीने में अपनी टीम नहीं बना सके हैं और यही वजह से कमलनाथ के समय के संगठन के भरोसे उन्हें अपना कामकाज करना पड़ रहा है। कमलनाथ के साथ पांच साल काम करने वाले संगठन के कई पदाधिकारी आज भी युवा नेतृत्व के आदेश को नजरअंदाज जैसा कर रहे हैं।
निष्कासन से बहाली के निर्देशों पर अमल नहीं
पार्टी के भीतर युवा नेतृत्व को नजरअंदाज किए जाने का एक उदाहरण सामने आया है जो एक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य के निष्कासन से जुड़ा है। कमलनाथ के कार्यकाल में सिवनी के इस एआईसीसी मैंबर राजा बघेल का निष्कासन हुआ था और विधानसभा चुनाव में हार के बाद कमलनाथ को हटाए जाने के कुछ दिन पहले एआईसीसी से उनकी बहाली की प्रक्रिया शुरू हुई। इसमें पूर्व प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला और मौजूदा प्रदेश प्रभारी जितेंद्र सिंह के निर्देशों के बाद बहाली हुई जिसमें नए प्रदेश कमेटी को आदेश जारी करना थे। नए प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी द्वारा इसमें संगठन प्रभारी उपाध्यक्ष राजीव सिंह को मौखिक निर्देश दिए गए लेकिन आज तक राजा बघेल की बहाली नहीं हो सकी है। जीतू पटवारी द्वारा इसमें ऑफिस नोट बनाकर भेज दिया गया है लेकिन इसके बाद भी आज तक बघेल की बहाली आदेश जारी नहीं हुए हैं।
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