मध्यप्रदेश लेखक संघ द्वारा प्रादेशिक गीत गोष्ठी का आयोजन रविवार को भोपाल में दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय में संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि, वरिष्ठ गीतकार मयंक श्रीवास्तव ने सुनाया, “और कितने दिन अभी मेरी, ज़रूरत है तुम मुझे अनुयायियों से बात करने दो” वहीं वरिष्ठ साहित्यकार, सारस्वत आतिथि डॉ. राम वल्लभ आचार्य ने सुनाया “देते जो आभास नीर का मरुथल ऐसे हैं, मृग मारिचिका है मन में, या छल ऐसे हैं”। वरिष्ठ गीतकार, विशिष्ट आतिथि ऋषि श्रृंगारी ने सुनाया “घटा बन कर बरसना तुम, सजनवा प्यार करना तुम, किनारे जब उतरना तुम, सजनवा प्यार करना तुम”, संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र गट्टानी ने अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया कि लेखक संघ के साथ युवा रचनाकारों को जोड़ना उनकी प्राथमिकता में है और बहुत से युवा संघ से जुड़ रहे हैं।
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