घोटालों के इस दौर में रेत, खनिज के साथ शराब लायसेंस भ्रष्टाचारियों के टारगेट पर रहते हैं। छत्तीसगढ़-दिल्ली के बाद मध्य प्रदेश में शराब घोटाला हुआ जिसमें ठेकेदारों को लायसेंस देने में नियमों को ताक पर रख दिया गया। यह मामला एक वकील साहब ने उठाया तो आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ यानी ईओडब्ल्यू ने जांच करने पर इसमें गड़बड़ी के साक्ष्य होने का संदेह हुआ और एफआईआर दर्ज कर ली है। जानिये कैसे शराब ठेकेदारों को किन सरकारी अधिकारियों ने लाभ पहुंचाने के लिए क्या किया।
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