Category Archives: धर्म व संस्कृति

भोजशाला में कोई मूर्ति नहीं फिर क्यों हो रही पूजा: दिग्विजय सिंह

धार की भोजशाला के गरमाए हुए मुद्दे पर आज एआईसीसी के महासचिव और मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बयान दिया कि भोजशाला में कोई मूर्ति नहीं है तो फिर वहां पूजा क्यों की जा रही है।

सूरीश्वर मुनि को अग्नि देने की बोली दो करोड़ 65 लाख लगी

जैन मुनि सूरीश्वर जी महाराज के चेन्नई वेल्लूर में महाप्रयाग के बाद आज उनका अग्नि संस्कार कर दिया गया। उन्हें अग्नि देने के लिए बोली लगाई जो दो करोड़ 65 लाख रुपए में गई।

मुख्यमंत्री ने विमानतल पर खूब उड़ाई पतंग

मकर संक्रांति के मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिंगापुर से लौटने के बाद भोपाल के राजा भोज विमानतल पर खूब पतंगबाजी की। उनका साथ दिया प्रदेश बीजेपी के मुखिया नंदकुमार चौहान ने।

आईएएस अधिकारी थेटे और कर्णावत का धरना

दलित आदिवासी फोरम के बैनर तले मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी रमेश थेटे और शशि कर्णावत ने तुलसी नगर के आंबेडकर मैदान में धरना शुरू कर दिया। उनके धरने में फोरम के संयोजक डॉ. मोहनलाल पाटिल भी थे और कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा भी धरनास्थल पर पहुंचे।

क्षिप्रा के शुद्धिकरण में किन्नरों ने की पूजन

सिंहस्थ को देखते हुए इन दिनों क्षिप्रा के शुद्धिकरण का अभियान चल रहा है। इस अभियान में आज किन्नरों ने भी अपना योगदान दिया।

आतंकवाद भारत को न भयभीत कर सका, न व्यवस्था बिगाड़ सका

प्रख्यात आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर महाराज ने कहा कि भारत को आतंकवाद न तो भयभीत कर सका है और न ही यहां की व्यवस्था बिगाड़ सका है। जब भी आतंकवादी घटना होती है तो पूरा देश एकजुट हो जाता है। श्री श्री रविशंकर महाराज यहां शनिवार को आए हैं। वे एक पत्रकारवार्ता को संबोधित कर रहे थे तब उन्होंने यह टिप्पणी की।

सलकनपुर बिजासन मंदिर पर नवरात्रि के रविवार पर उमड़ी भीड़

सीहोर जिले के रेहटी में सलकनपुर की बिजासन देवी मंदिर पर आज बड़ी संख्या में धर्मालुजन पहुंचे। नवरात्रि के दौरान रविवार होने से आज सीहोर सहित होशंगाबाद, रायसेन, भोपाल और आसपास के कई अन्य जिलों से लोग पहुंचे। वाहनों से पहुंचे लोगों को कई घंटे तक जाम में फंसे रहने से दो से तीन घंटे तक मंदिर में पहुंचने के लिए इंतजाम करना पड़ा। मंदिर परिसर में भंडारे का आयोजन भी किया गया।

पितृमोक्ष अमावस्या पर लाखों लोगों ने लगाई नर्मदा में डुबकी

श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन आज पितृमोक्ष अमावस्या के अवसर पर नर्मदा नदी में लाखों लोगों ने डुबकी लगाकर अपने पूर्वजों को याद किया। नर्मदा नदी में डुबकी लगाकर पुरखों को जल सहित श्राद्धसुमन अर्पित किए। होशंगाबाद, महेश्वर, रेहटी, बुदनी, जबलपुर सहित कई स्थानों पर नर्मदा नदी के घाटों पर श्रद्धालुजनों की भीड़ लगी रही। प्रशासन की ओर से भी इस मौके पर विशेष इंतजाम किए गए थे। भोपाल में बड़ी झील के शीतलदास बगिया और छोटी झील के कालीघाट, खटलापुरा घाट पर लोगों ने पूर्वजों का श्राद्ध किया।

साढ़े तेरह हजार रुद्राक्ष पहनकर केशव चैतन्यजी महाराज नासिक से जा रहे मथुरा

नासिक कुंभ में मथुरा से गए ब्रह्मचारी केशव चैतन्य महाराज अब अपने घर वापस लौट रहे हैं। वे मोटर साइकल से कुंभ गए थे और उसी पर सवार होकर वापस लौट रहे हैं लेकिन जहां से वे गुजर रहे हैं, उनको लेकर लोगों में आकर्षण हो जाता है। वे आम साधु संतों की तरह नहीं दिखते बल्कि सिर से लेकर कमर तक उनके शरीर पर लदी रुद्राक्ष के कारण उन पर लोगों की नजर अटक जाती है। कोई भी उन्हें एक झलक देखे बिना नहीं रहता। वे भी मुस्कुराते हुए सड़क बाइक की सवारी कर निकल जाते हैं। कोई उनके साथ सेल्फी लेता है तो कोई समूह में उनके साथ फोटो उतरवाता है। उनके शरीर पर एक दो नहीं बल्कि 13 हजार 500 रुद्राक्ष हैं। सिर पर उनके मुकुट में ऊं के साथ रुद्राक्ष हैं तों गले में ढेरों मालाएँ रुद्राक्ष की डली हैं। उनके इस अनोखे अंदाज के बारे बताया जाता है कि करीब दस साल पहले उन्होंने भगवान भोले शंकर की भक्ति करते करते रुद्राक्ष धारण करना शुरू कर दिया और उन्हें पता ही नहीं चला कि कब उनका शरीर रुद्राक्ष से लद गया। वे प्रतिदिन स्नान करने के बाद वे रुद्राक्ष धारण कर लेते हैं। वे नासिक से लौट रहे हैं तो सड़क मार्ग पर मध्यप्रदेश में उनका कई स्थानों पर लोग स्वागत कर रहे हैं।

पांढुर्ना का गोटमार मेला, पत्थरबाजी में कई घायल

पांढुर्ना के सुरेश कांवले की सातवीं पीढ़ी है जो यहां के गोटमार मेले के लिए जाम नदी में पलाश का पेड़ गाढ़ती आ रही है। आज भी सुबह पांच बजे इस परिवार के लोगों ने जाम नदी में पलाश का पेड़ गाढ़ा और इसके बाद सांवर गांव व पांढुर्ना के लोगों ने उसकी पूजा अर्चना की। जुलूस निकालते हुए गाजे-बाजे के साथ लोगों ने नाचते-गाते हुए वहां झंडे गाढ़े।
गोटमार मेला कई दशकों से आयोजित किया जा रहा है जिसमें सांवर गांव और पांढुर्ना के लोगों के बीच पलाश के पेड़ को लेकर पथराव होता है। पांर्ढुना के लोग कुल्हाड़ी से जाम नदी में गाढ़े गए पलाश के पेड़ को काटकर ले जाते हैं। जब पेड़ काटा नहीं जाता तब तक दोनों पक्ष के लोग पत्थर फेंकते हैं। पेड़ काटे जाने के बाद पांढुर्ना में माता चंडिका के मंदिर पर उसे ले जाया जाता है और वहां पूजा अर्चना के बाद महा आरती होती है। इसके बाद मेला समाप्त हो जाता है।
आज सुबह नौ बजे से गोटमार मेला शुरू हुआ जिसमें जमकर दोनों गांव के लोगों ने एक दूसरे पर पत्थर बरसाए। इसमें करीब 100 लोग जख्मी हो चुके हैं लेकिन पेड़ अभी भी काटा नहीं जा सका है। पुलिस व प्रशासन के लोग मूकदर्शक बनकर यह नजारा देख रहे हैं। अस्थाई अस्पताल बनाकर घायलों का इलाज करा रहे हैं।

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