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कांग्रेस अध्यक्ष, बदलते बनते समीकरण, हाईकमान के प्रत्याशी पर पसोपेश

कांग्रेस के अध्यक्ष के चुनाव को लेकर दिल्ली में राजनीति गरमायी हुई है और दिन-रात समीकरण बदल रहे हैं। राजस्थान के विधायक दल के हाईकमान के आदेश के खिलाफ जाने के बाद दिल्ली में राजनीति केंद्रित हो गई है। एक तरह से अशोक गहलोत दौड़ बाहर हो गए हैं लेकिन हाईकमान के प्रत्याशी को लेकर पसोपेश की स्थिति है। दिग्विजय के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम सामने आया मगर पवन बंसल द्वारा लिए गए नामांकन पत्रों में कौन भरेगा पर्चा, यह संशय है। शशि थरूर तो प्रत्याशी हैं मगर जी 23 की ओर से भी एक प्रत्याशी बनता दिखाई दे रहा है। यह नाम मनीष तिवारी के रूप में सामने आ रहा है।

कांग्रेस अध्यक्ष के हाईकमान प्रत्याशी पर पसोपेश, दिग्विजय-गहलोत रात को दिल्ली पहुंच रहे

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में हाईकमान के प्रत्याशी पर पसोपेश की स्थिति बनी हुई है। अब तक तस्वीर साफ नहीं हुई है कि हाईकमान का प्रत्याशी कौन होगा क्योंकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बैकफुट पर दिखाई दे रहे हैं औऱ आज दिल्ली पहुंच रहे हैं। वहीं, राहुल गांधी की भारत जोड़ो पदयात्रा के मुख्य कर्ताधर्ता मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी आज फिर से दिल्ली पहुंच रहे हैं। इन दोनों नेताओं के दिल्ली पहुंचने से हाईकमान के अध्यक्ष प्रत्याशी की अटकलों का दौर फिर तेज हो गया है।

राजस्थान की राजनीतिक में बलि के बकरे की तलाश, जानिये आगे क्या होने के आसार

राजस्थान कांग्रेस में तूफान के पहले की शांति नजर आ रही है क्योंकि हाईकमान ने सीएम अशोक गहलोत को ऊपरी तौर पर राहत देकर फिलहाल माहौल को ठंडा किया है। मगर जयपुर में विधायक दल की बैठक के हुकूम को नहीं मानने की अनुशासनहीनता हाईकमान भुला नहीं पाएगा। अब वहां बलि के बकरे की तलाश भी शुरू हो गई है क्योंकि गहलोत समर्थक तीन विधायकों को नोटिस दे दिए गए हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष अब कठपुतली नहीं होगा, राजस्थान के तेवरों से आए संकेत

कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव होने जा रहा है जिसके लिए नामांकन प्रक्रिया चल रही है और अशोक गहलोत के चुनाव मैदान में उतरने की पूरी संभावना है। मगर राजस्थान में रविवार की शाम से जिस तरह उनके और उनके समर्थक विधायकों के तेवर बदले हैं, उससे लगता है कि कांग्रेस का भावी अध्यक्ष कठपुतली नहीं होगा। उसके अपने फैसले होने के आसार हैं और शायद इसीलिए गहलोत समर्थक विधायक राजस्थान में विधायक दल की बैठक कांग्रेस अध्यक्ष के निर्वाचन के बाद कराए जाने की शर्त रख रहे हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से राजस्थान में राजनीतिक उफान, पायलट की लाटरी खुलेगी

कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर देशभर में राजनीतिक माहौल गरमाया है लेकिन अध्यक्ष के दावेदारों में शामिल राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की वजह से राजस्थान में सीएम की कुर्सी पर सचिन पायलट की लाटरी चार साल बाद खुलने की संभावना है। पायलट 2018 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा थे लेकिन सीएम की कुर्सी गहलोत के खाते में चली गई थी। अब एकबार फिर सचिन पायलट की किस्मत पलटने की संभावना है क्योंकि गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्य़क्ष बनने के लिए चुनाव मैदान में उतारना है।

कांग्रेस दफ्तर की दीवार बनी जन्मदिन की बधाई वॉल

मध्य प्रदेश में 2018 विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाने और फिर सरकार गिरने के बाद अब कांग्रेस नेता 2023 विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं लेकिन यहां नेता अपनी स्तुति कराने में अभी भी लगे हैं। स्तुति के लिए सोशल मीडिया से लेकर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय का इस्तेमाल हो रहा है। इन दिनों नेताओं की स्तुति में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय की एक दीवार जन्मदिन की बधाई वॉल बन गई है। हर नेता के जन्मदिन के एक-दो दिन पहले इस दीवार पर उनके समर्थक और उनके साथी पोस्टर की लाइन लगा देते हैं जिसमें नेताजी को जन्मदिन की बधाई होती है।

कांग्रेस संगठन की हकीकत, दौरे कर लौटने वाले नेताओं की बातें-रिपोर्ट में जमीन-आसमान का अंतर

कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया पर हर बार सवाल खड़े होते हैं और इस बार भी ये चुनाव इससे बच नहीं पा रहे हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए 17 सितंबर को एक बैठक बुलाई गई है। मगर इसमें जिन डेलीगेट्स को बुलाया गया है उनकी सूची सार्वजनिक नहीं की गई है। न ही उन्हें नामजद आमंत्रण भी भेजे जा रहे हैं। कोरे आमंत्रण से डेलीगेट्स को बुलाया जा रहा है जिससे 487 प्रतिनिधियों की जगह कई गुना नेता मोबाइल फोन में ऐसे आमंत्रण लेकर चुनाव स्थल मानस भवन पहुंच सकते हैं।

विधानसभा की कार्यवाही को बाधित करने में जिम्मेदार कौन, बड़ा सवाल

मध्य प्रदेश की विधानसभा के सत्रों में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य सदन के बाहर चर्चा करने और सत्र को छोटा-बड़ा बताने के बयान देते हैं लेकिन सदन के भीतर ऐसा माहौल कौन पैदा कर देता है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे को सुनने को राजी नहीं होते। हंगामा और फिर कार्यवाही कुछ निश्चित समय या अगले दिन या फिर अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दी जाती है। चालू मानसून सत्र का भी यह हश्र होता नजर आ रहा है जबकि यह सत्र लंबे अंतराल के बाद हो रहा है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त प्रभारी नई रणनीति के साथ मैदान में, जानिये जेपी का अंदाज

मध्य प्रदेश कांग्रेस चुनावी मोड में आ गई है। हाल ही में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने नया प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल को बनाया है। नवनियुक्त प्रदेश प्रभारी पूर्व सांसद व दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अग्रवाल अगले साल विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाने में जुटने के लिए नए सिरे से कवायद शुरू करने जा रहे हैं। वे अब जिलों में दौरों के दौरान प्रमुख नेताओं के घर-घर यात्रा करेंगे। इसकी शुरुआत वे भोपाल जिले में जिले के तीन प्रमुख नेताओं के यहां पहुंचकर करने जा रहे हैं। इसी तरह जिलों के दौरों में वे किसी भी एक कार्यालय में भी जाएंगे और वहां के पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगे।

कांग्रेस में चुनाव हारने वाले संगठन के बाहर से करा रहे फैसले

19 साल से मध्य प्रदेश में सत्ता से बाहर कांग्रेस में आज भी चुनाव हारने वाले नेता संगठन के बाहर से ही अपने हिसाब से फैसले कराने में कामयाब हो रहे हैं। अनचाहे नेता की छवि को गुटीय राजनीति के सहारे बिगाड़ने का आज भी क्रम चल रहा है जिसके कारण दिग्विजय सिंह हो या अरुण यादव या अजय सिंह या दूसरे नेताओं के समर्थकों तक कमलनाथ की नजर पहुंचने ही नहीं दी जाती। आज भी पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी संगठन में अपने हिसाब से फैसले कराने में सफल नजर आ रहे हैं।

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