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सामाजिक समीकरणों में उलझती राजनीति, कभी जनजाति तो कभी OBC-दलित तो कभी सवर्ण को साधते नेता

धर्म-जातिवाद को लेकर अक्सर विरोध के स्वर उठते रहते हैं लेकिन जब भी कहीं चुनाव आते हैं तो राजनीतिक दल इसके ईर्दगिर्द खुद को सिमट लेते हैं। इन दिनों मध्य प्रदेश में भी ऐसा ही कुछ चल रहा है जिसमें भाजपा, कांग्रेस से काफी आगे चल रही है। उसने जातिवाद के साथ जनजातीय समाज की अपनी कमजोर कड़ी को मजबूती देने पर मैदानी रणनीति के साथ सरकार में होने का लाभ लेते हुए प्रशासनिक रूप से भी काम किया है। वहीं, कांग्रेस ने जनजातीय समाज के युवा वर्गों को साधने के लिए यूथ लीडरशिप को आगे कर दिया है जिससे भाजपा को टक्कर मिल रही है।

चुनावी वर्ष में दावों-वादों की गूंज, CONG के नौकरी, पेंशन वृद्धि के वादे तो BJP दे रही नियुक्ति पत्र, आवास पट्टे

मध्य प्रदेश में 2023 के अंत में नई सरकार काम संभालेगी जिसके लिए अभी से भाजपा और कांग्रेस कमर कसकर मैदान में उतर आई हैं। भाजपा सत्ता में है तो वह अपने 18 साल से ज्यादा के कार्यकाल में किए गए कामों को बयां करने के साथ जनता को दिखाने के लिए नौकरियां पाने वालों को नियुक्ति पत्र देने जा रही है और जरूरतमंदों को आवासीय पट्टे दे रही है। वहीं, कांग्रेस अपने सवा साल की सरकार के कामों को गिनाने के साथ नई सरकार में आने पर नौकरियों के रास्ते खोलने, नई पेंशन से लेकर तमाम वादों को करने में जुटी है।

MP के 16 IPS हो जाएंगे इस साल विदा, तीन DG तो छह ADG सीनियर पद होंगे रिक्त

मध्य प्रदेश में वर्ष 2023 में 16 आईपीएस का रिटायरमेंट होगा जिसमें महानिदेशक स्तर के तीन और छह अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के अधिकारियों की सेवानिवृत्ति है। कैडर के पैरामिड में ऊपर असंतुलन की स्थिति इस साल कुछ बैलेंस बन सकता है। महानिदेशक स्तर पर 1989 बैच और एडीजी के लिए 1999 को पूरा मौका मिलने के बाद प्रमोशन में इनके अगले बैच की शुरूआत हो सकती है।

मंत्री बनने के बाद जमीन छोड़ने वाले MLA संकट में, BJP-कांग्रेस को तलाशने होंगे नए चेहरे

मध्य प्रदेश में अब दस महीने का वक्त विधानसभा चुनाव का बचा है लेकिन अभी भी भाजपा-कांग्रेस में मौजूदा विधायकों में से ज्यादातर ऊहापोह की स्थिति में है क्योंकि ऐसे एमएलए ने विधायक बनने या मंत्री बनने के बाद जमीन छोड़ दी थी। ऐसे लोग या तो क्षेत्र में होने के बाद भी अपने लोगों से ही घिरे रहे या फिर क्षेत्र के विकास की तरफ उन्होंने वैसा ध्यान नहीं दिया जिसकी लोगों को उनसे उम्मीद थी। यही वजह से आज शिवराज मंत्रिमंडल के 40 फीसदी तो कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे 60 फीसदी विधायक आज चुनाव हो जाएं तो उनकी हार को सुनिश्चित माना जा रहा है।

दागदार IAS अधिकारी भटनागर, मंत्रालय की लापरवाही, CM की घोषणा के बाद अवकाश पर नहीं लिया तुरंत फैसला

दो महीने पहले मास्टर प्लान से छेड़छाड़ और भूमि उपयोग परिवर्तन के मामले में फंसे आईएएस अधिकारी तरुण भटनागर के मामले में एकबार फिर राज्य मंत्रालय की लापरवाही सामने आई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद यहां पहुंचे अवकाश के आवेदन पर फैसला लेने में दो दिन लगा दिए और संभागीय कमिश्नर से समन्वय भी नहीं बनाया। हालात यह बन गए कि निवाड़ी जिले के कलेक्टर के लिए दो दिन में दो प्रभारी के आदेश जारी हो गए।

IAS तरुण भटनागर पर लोकायुक्त पुलिस में FIR के बाद कार्रवाई नहीं हुआ था सम्मान, अब वही CM के आदेश को दिखा गए ठेंगा

बुधवार को निवाड़ी में जिस कलेक्टर तरुण भटनागर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंच से हटाने का ऐलान किया, यह वही 2012 बैच के युवा आईएएस अधिकारी हैं जिनके खिलाफ दो महीने पहले लोकायुक्त पुलिस में एफआईआर दर्ज हुई थी। मगर तब राज्य शासन ने उन्हें जिले से तो हटाया नहीं था बल्कि 15 दिन बाद उनका राज्य और जिला स्तरीय पुरस्कार वितरण समारोह में दस लाख रुपए के सम्मान से नवाजा था। भोपाल में सीएम चौहान ने उन्हें सम्मानित किया था। जिस अधिकारी को राज्य शासन ने एफआईआऱ के बाद भी जिले से नहीं हटाया, वह सीएम के ऐलान के बाद कार्यमुक्त होने का इंतजार किए बिना अवकाश पर गए।

लोधी समाज के मंच से दिए बयान पर बवाल के बाद आई उमा की सफाई, मोदी मेरे नेता-भाजपा मेरी पार्टी

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती जिस तरह कुछ समय से अपने तीखे तेवर दिखाने के बाद अचानक नरम पड़ती रही हैं, उसी तरह इस बार भी लोधी समाज के मंच से दिए उनके भाषण के वायरल अंशों पर वे नरम दिखाई दी हैं। भारती ने भाषण के आगे-पीछे के हिस्से को काटकर शेष बयान को वायरल किए जाने पर सफाई दी और कहा कि भाजपा उन्हें साइडलाइन नहीं करती। उनकी सीधी लाइन है। पढिये भारती ने सफाई में जो कहा।

कहीं देर न हो जाए, भाजपा की त्रि-नेत्री, अपनी-अपनी धाराओं में बह रहीं

मध्य प्रदेश में भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव 2023 उतना आसान नहीं है जितना समझ आ रहा है। पार्टी के भीतर असंतोष का ज्वालामुखी है तो वहीं नेताओं के अहंकार को दर्शाने वाले बयान, चुनाव की दिशा-दशा बदलने के लिए काफी हैं। इन दिनों भाजपा की तीन महिला नेताओं के तेवर तीखे हैं और उनके बयानों के चर्चे भी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की नाराजगी चुनाव में पार्टी को दूसरे असंतुष्टों का साथ मिलने पर भारी पड़ सकती है तो शिवराज कैबिनेट की सदस्य उषा ठाकुर और भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के वक्तव्य भी चुनावी फिजा में मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं।

MP में वरिष्ठतम 63 अफसरों में से जूनियर मोस्ट पर सरकार मेहरबान, प्रमोशन का इंतजार

मध्य प्रदेश पुलिस में महानिदेशक से लेकर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक तक के बारह बैच के 63 अफसर हैं लेकिन दर्जनों अफसरों को नजरअंदाज कर सरकार जूनियर मोस्ट अधिकारियों पर मेहरबान है। करीब 30 हजार के सशस्त्र बल की कमान हो या लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना जैसी भ्रष्टाचार से निपटने वाली पुलिस, यहां अधिकारियों के प्रमोशन का इंतजार किया जा रहा है। आईए आपको बताएं कि भारतीय पुलिस सेवा के जिन 63 अधिकारियों को सरकार नजरअंदाज कर रही है, उनमें से किसके पास क्या जिम्मेदारी है।

महीनों से APCCF, CCF, DFO पद खाली, मंत्री तय नहीं कर पा रहे है सूची

जंगल महकमे में पिछले 6 महीनों से सर्किल और वन मंडलों को मिलाकर 10 आईएफएस के पद रिक्त पड़े हैं. इसी प्रकार मुख्यालय में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद भी खाली पड़े हुए हैं. यह स्थिति इसलिए निर्मित हुई है, क्योंकि वन मंत्री विजय शाह अपने मनमाफिक अफसरों की सूची तैयार नहीं कर पा रहे है. अगले साल विधानसभा चुनाव को लेकर भी मंत्रियों और विधायकों के सिफारिशों की लंबी फेहरिस्त है. कहा जा रहा है कि वन मंत्री विजय शाह की सूची और सिफारिश सूची में मेल न होने के कारण पदस्थापना का मामला 6 महीने से अटका है.

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