Category Archives: आपकी आवाज, हमारी कलम

सिंधिया को तोप नहीं मानने वाली कांग्रेस को कार्यकारिणी के लिए गुना-शिवपुरी में नहीं मिले नेता, छोटे जिले भी उपेक्षित

पूर्व मुख्यंमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ जिस केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को तोप मानने से इनकार कर रहे हैं, उनकी कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी के लिए गुना-शिवपुरी में कोई नेता नहीं मिले हैं। ग्वालियर-चंबल संभाग के शिवपुरी-गुना-अशोक नगर जिलों से पीसीसी की नवगठित कार्यकारिणी में कोई नेता नहीं है। वहीं, कुछ छोटे जिलों को 155 उपाध्यक्ष-महासचिवों की कार्यकारिणी में उपेक्षित कर दिया गया है। आपको बता रहे हैं किस जिले से किसे मिला पीसीसी कार्यकारिणी में जगह।

युवा कांग्रेस सम्मेलन के दौरान प्रदेश अध्यक्ष का विरोध, पर्दे के पीछे पनप रही राजनीति

मध्य प्रदेश कांग्रेस में एक समय युवा कांग्रेस के माध्यम से अगली पीढ़ी के नेता आते रहे हैं जिन्हें आगे लाने में तत्कालीन बड़े नेताओं की सकारात्मक भूमिका भी रही है। मगर अभी युवा कांग्रेस अध्यक्ष का साथ नहीं देने वालों पर कार्रवाई किए जाने के बाद सम्मेलन के दौरान जिस तरह विरोध दर्ज कराया गया, उसमें पर्दे के पीछे कोई और माना जा रहा है। इसमें कांग्रेस में दशकों से चली आ रही गुटीय राजनीति भी मानी जा रही है।

सभी घाट का पानी पीने के बाद अब नारायण त्रिपाठी का विंध्य के नाम पर नया दांव, ऐसे करेंगे दो-दो हाथ

कभी समाजवादी पार्टी तो कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा से चुनाव लड़कर विधानसभा में पहुंचे नारायण त्रिपाठी का नया दांव विंध्य प्रदेश का है। वे मौजूदा सात जिलों को अलग कर विंध्य प्रदेश बनाने के लिए अब राजनीति में दो-दो हाथ करने की तैयारी कर रहे हैं। आज उन्होंने खबर सबकी से चर्चा की तो अपना प्लान शेयर किया। आपको बता रहे हैं त्रिपाठी का आगे के राजनीतिक सफर की प्लानिंग।

मध्य प्रदेश चुनाव मैदान में 20 साल में बढ़ीं 79 पार्टियां, अब और बढ़ने के संकेत

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं जिसके लिए राजनीति में किस्मत आजमाने वाले एकसमान विचारधारा वाले लोगों के समूह दलों के रूप में फिर सक्रिय होते दिखाई दे रहे हैं। एमपी में 2003 में सत्ता परिवर्तन से लेकर आज तक चार विधानसभा चुनाव हुए हैं जिनमें चुनावी दंगल में किस्मत आजमाने वाले राजनीतिक दलों की संख्या 40 से बढ़कर 119 पहुंच गई है और अब 2023 में कई लोगों के समूह चुनाव में उतरने का मूड बना रहे हैं। आईए इस रिपोर्ट में आपको बताते हैं कि 2003 से 2018 तक किस तरह राजनीतिक दलों की सख्या घटी-बढ़ी और उसका राष्ट्रीय राजनीतिक दलों पर किस तरह असर पड़ा।

चुनाव मोड में BJP-कांग्रेस, कमियों से भरे संगठनों से जूझते दल, चुनौती-संघर्ष-जोश में तालमेल बैठाने की कवायद

मध्य प्रदेश में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अब महज कुछ महीने का समय बचा है तो सत्ताधारी दल भाजपा और कांग्रेस दोनों ही चुनाव मोड में आ गए हैं। भाजपा संगठन और सरकार नेता-कार्यकर्ता से लेकर मंत्री-अफसरों को टास्क दिए जा रहे हैं तो कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने के लिए बैठकें करने की रणनीति पर चल रही है। मगर दोनों प्रमुख दलों के संगठन में कमजोरी पार्टी नेतृत्व भांप रहा है और इसमें बदलाव की हवा बीच-बीच में बहने लगती है। आईए आपको बताएं इन दलों की चुनावी रणनीति के बारे में।

विमानतल पर शिवराज-दिग्विजय मिले तो वायरल हुए फोटो, पढ़िये कैसे मिल बैठे ये नेता

मध्य प्रदेश में राजनीति में एक दूसरे के घुर विरोधी दिखाई देने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह आज भोपाल विमानतल के स्टेट हैंगर पर मिल गए। संयोग की बात यह है कि करीब सालभर पहले कुछ ऐसा ही घटनाक्रम शिवराज और कमलनाथ के बीच घटा था और दोनों की विमानतल पर मुलाकात हुई थी। तब राजनीतिक घटनाक्रम में गर्माहट थी। आपको बता रहे हैं हम इन नेताओं के बीच के रिश्तों के कुछ किस्से।

PCC कार्य आवंटन बदलाव में आंतरिक खींचतान की चर्चा, नाथ की पचौरी से नजदीकी का प्रतिबिंब

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी में हाल ही में कमलनाथ ने अपनी 15 नेताओं की टीम बनाई है जिसमें आतंरिक खींचतान की झलक दिखाई दे रही है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल-दिग्विजय सिंह के बीच पहले जैसी प्रगाढ़ता नहीं दिखाई देती है और नाथ की पूर्व पीसीसी अध्यक्ष सुरेश पचौरी से ज्यादा नजदीकी संबंध सामने आने लगे हैं जिसका प्रतिबिंब पीसीसी के कामकाज बंटवारे में दिखा है। कुछ नेताओं को भारी भरकम जिम्मेदारी सौंप दी गई है तो कुछ नेताओं को रस्म अदायगी जैसा काम दे दिया गया है। आईए आपको बताते हैं कि कमलनाथ की पीसीसी टीम के 15 महत्वपूर्ण नेताओं को किस वजह से क्या भारी भरकम और हल्की जिम्मेदारी दी गई।

CM की काम में सुधार की नसीहत के बाद भी खुफिया पुलिस फेल, सैकड़ों वाहन-हजारों लोग कैसे जमा हो गए

मध्य प्रदेश में बारह साल पहले जिस तरह पुलिस का खुफिया तंत्र फेल साबित हुआ था, लगभग वही हालात फिर भोपाल में पैदा हुए हैं। मध्य प्रदेश पुलिस की खुफिया शाखा के कामकाज से सीएम भी संतुष्ट नहीं थे जिसका इजहार उन्होंने एक सप्ताह पहले ही किया था लेकिन इसके बाद भी करणी सेना के ऐसे आंदोलन की सूचना में वह एकबार फिर नाकाम रही है। संख्या का अंदाज नहीं लगा पाने की वजह से आंदोलन की अनुमति को लेकर प्रशासन व पुलिस के अधिकारी भी असमंजस में रहे। अब यह भीड़ पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती बन चुकी है।

चुनाव के पहले जातीय टकराव, करणी सेना का आंदोलन, अगले महीने भीम आर्मी का ऐलान

मध्य प्रदेश में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले जातीय टकराव के हालात पैदा हो रहे हैं। संविधान में बदलाव के लिए इन दिनों करणी सेना भोपाल में डटी है जिसके नेता मध्य प्रदेश का माहौल बिगाड़ने की चेतावनी दी जा रही है तो वहीं दूसरी भीम आर्मी ने संविधान में बदलाव की सोच पर खुलकर विरोध करने के लिए अगले महीने भोपाल में आंदोलन का ऐलान कर दिया है। इस टकराव के हालात से अभी तक सरकार की तरफ से केवल करणी सेना के नेताओं से चर्चा के लिए मंत्री भेजा है, भीम आर्मी के ऐलान पर गौर नहीं किया है।

मीडिया की सीढ़ियों से राजनीतिक दलों में मंजिल पाते लोग, जानिये MP की राजनीति में कौन से हैं नाम

मीडिया में आने के बाद कई पत्रकार राजनीतिक विचारधारा से प्रभावित हो जाते हैं और फिर उनकी कलम किसी एक दिशा में चली जाती है। देश के साथ मध्य प्रदेश में भी ऐसे कई नाम हैं जिन्होंने मीडिया में अपनी शुरुआत की और समय के अनुसार धीरे-धीरे राजनीति दल से सीधे जुड़कर अपना ट्रेक बदल लिया। मध्य प्रदेश में ऐसे कई नाम हैं लेकिन कुछ नाम शीर्ष तक भी पहुंच गए। आइए आपको बताएं मीडिया से जुड़ने के बाद राजनीति में उतरे ऐसे कुछ नामों के बारे में।

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