Category Archives: आपकी आवाज, हमारी कलम

कांग्रेस में टिकट वितरण के क्राइटेरिया की चर्चाः फंस रहे मसानी, नायक, यादव, अजय सिंह

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण के लिए क्राइटेरिया बनने का क्रम स्क्रीनिंग कमेटी की पहली दौर की मीटिंग के बाद से शुरू होने लगा है। 20 हजार से ज्यादा वोटों से हार, तीन बार चुनावी हार और 50 फीसदी महिलाओं-युवा और ओबीसी को टिकट के क्राइटेरिया पहले दौर की बैठक में सामने आए हैं। इन क्राइटेरिया के घेरे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के कुछ करीबी मुख्यमंत्री के साले संजय मसानी व मुकेश नायक सहित बड़े नेता पूर्व पीसीसी चीफ सुरेश पचौरी व अरुण यादव और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी आ रहे हैं। पढ़िये रवींद्र कैलासिया-गणेश पांडेय की रिपोर्ट।

भारत-इंडिया में उलझाकर विकास के लक्ष्यों के मुद्दों को भुलाया जा रहा, राजनीति की रणनीति में मीडिया का उपयोग

भारतीयों को इन दिनों राजनीति के रणनीतिकार गरीबी, भुखमरी, शिक्षा जैसे मुद्दों को दरकिनार करने के लिए मीडिया का उपयोग करते हुए भारत और इंडिया की बहस में उलझाकर रखे हैं। मीडिया भी प्राइम टाइम में इन मुद्दों पर बहस कराकर लोगों के दिलो-दिमाग में उन्हें ठूस रहा है। आम भारतीय भी इन बेवजह के विषयों पर चायपान की दुकानों, चौपाल-घर में बातें करता रहता है जबकि सिर के ऊपर छत नहीं, खाने को दो वक्त की रोटी नहीं और बच्चे स्कूल के बजाय काम करके परिवार के लिए रोज खाने के इंतजाम में हाथ बंटाते हैं। पढ़िये इस गंभीर विषय पर राजनीतिक रणनीतिकार अतुल मलिकराम की रिपोर्ट जो 2030 का भारत अभियान के संचालक भी हैं।

Differences after transfer, Lokayukta’s attitude seen in CR, Gupta-Makwana face to face on honesty

मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाली एजेंसी लोकायुक्त संगठन की विशेष पुलिस स्थापना के प्रमुख रहे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी कैलाश मकवाना की ईमानदारी को लोकायुक्त जस्टिस नरेश कुमार गुप्ता ने संदेहास्पद बताया है। यह संदेह उन्होंने मकवाना की गोपनीय चरित्रावली (सीआर) को लिखते हुए व्यक्त किया है। इससे गुप्ता-मकवाना फिर आमने-सामने आ गए हैं। पढ़िये इस पर हमारी विशेष रिपोर्ट।

MP के हाईप्रोफाइल हनीट्रेप मामले की आरोपी आरती बंगलुरू में बनी चोरनी, अहिरवार से ऐसे बनी दयाल

मध्य प्रदेश में चार साल पहले जिस हाईप्रोफाइल हनीट्रेप मामले ने मंत्रालय के अफसरों से लेकर राजनीति के धुरंधर नेताओं और मीडियाकर्मियों को हिलाकर रख दिया था, आज उस मामले की एक आरोपी आरती दयाल फिर सुर्खियों में है। इस बार मध्य प्रदेश की सीमा लांघकर उसने कर्नाटक में अपराधिक घटना को अंजाम दिया। आरती दयाल ने कब कब कौन-से रूप रखे, पढ़िये रिपोर्ट।

आखिरकार अधिकृत तौर पर अपने-पराये में बांट दिया गया मीडिया, राजनीतिक दलों के समूह ‘INDIA’ का एक्शन

देश में मीडिया को संविधान का चौथा स्तंभ कहा जाता है लेकिन अब इसे नेताओं ने अपनों परायों की मीडिया में बांट दिया है। राजनीतिक दलों के समूह इंडिया ने यह अधिकृत रूप से कर दिया है और सोशल मीडिया पर इंडिया ने पराये पत्रकारों की सूची जारी कर दी है। सोशल मीडिया पर यह सूची तेजी से वायरल हुई है जिसका अब तक इंडिया के नेताओं ने खंडन भी नहीं किया है। वैसे मीडिया का एक बड़ा वर्ग सरकार के गुणगान में लगा है, इस तथ्य को कोई झुठला भी नहीं सकता है। पढ़िये रिपोर्ट।

MP कांग्रेस के नेताओं से मांगे बंद लिफाफे में नाम, नाराज हो गए नेता- बोले परंपरा अनुसार चर्चा हो

मध्य प्रदेश कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की पहली बैठक के दूसरे दिन बुधवार को नेताओं के बीच दावेदारों के नामों पर चर्चा को लेकर टकराव की स्थिति बनी। नेताओं से बंद लिफाफे में नाम मांगे गए तो कमेटी के कुछ वरिष्ठ नेता नाराज हो गए और बैठक में गरमाहट आ गई। पढ़िये रिपोर्ट।

अनूपपुर डीएफओ पर अनियमितता और मातहतों से अमर्यादित आचरण के आरोप, भोपाल तक गूंज

जंगल महकमे में अनूपपुर वन मंडल में पदस्थ डीएफओ सुशील कुमार प्रजापति अपने कामकाज के तरीके और व्यवहार के कारण सुर्खियों में है। मुख्य वन संरक्षक शहडोल लाखन सिंह उईके ने दवाईयों की खरीदी में नियम-प्रक्रिया का पालन नहीं करने और अपने मातहतों खासकर महिलाओं के साथ अमर्यादित आचरण करने संबंधित जांच प्रतिवेदन प्रधान मुख्य वन संरक्षक मुख्यालय को भेज दी है। इस जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई होती है या नहीं, यह अभी आने वाला समय ही बताएगा। पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार गणेश पांडे की रिपोर्ट।

MP विधानसभा चुनाव में इस बार राहुल नहीं प्रियंका कांग्रेस की कमान संभालेंगे, पढ़िये रिपोर्ट

मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस की कमान राहुल गांधी के बजाय प्रियंका गांधी के हाथों में रहने के संकेत हैं। प्रियंका गांधी कांग्रेस के चुनावी शंखनाद के बाद अब तीसरी दौरा मालवा के धार जिले में करने जा रही हैं। प्रियंका गांधी के मध्य प्रदेश की कमान संभालने के पीछे क्या है कारण, पढ़िये रिपोर्ट।

राजनीतिक सौहार्द धूमिल, 3 साल से नहीं भरा गया विधानसभा उपाध्यक्ष का पद


प्रदेश की राजनीति में ऐसा पहली बार हुआ जब विधानसभा उपाध्यक्ष का पद 3 साल से भरा नहीं जा सका।
ऐसा सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच राजनीतिक सौहार्द नहीं होने की वजह से हुआ। अब यह भरा भी नहीं जायेगा, क्योंकि अगले माह विधानसभा आम चुनाव की आचार संहिता लग जायेगी। वर्ष 1956 में मप्र के गठन के बाद से विधानसभा में उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को न देने की आम परम्परा थी। हालांकि नर्मदा प्रसाद श्रीवास्तव पहली बार विरोधी दल की ओर से वर्ष 1962 में उपाध्यक्ष चुने गये। वर्ष 1964 में भी वे पुनः उपाध्यक्ष बने, परन्तु इसके बाद 3 मार्च 1990 तक किसी विपक्षी विधायक को उपाध्यक्ष का पद नहीं दिया गया। पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार गणेश पांडेय की रिपोर्ट।

कांग्रेस में सिंधिया समर्थक पीड़ित ‘शेखावत-रघुवंशी’ व UP के दो चुनाव हारे ‘गुड्डू राजा’ की एंट्री

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आने से दलबदलुओं की भागमभाग में कांग्रेस की तरफ नेताओं का रुख तेज हो गया है। शनिवार को एक बार फिर भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्रियों से पीड़ित दो भाजपा नेता भंवरसिंह शेखावत व वीरेंद्र सिंह रघुवंशी और उत्तर प्रदेश में 11 साल में दो विधानसभा चुनाव हार चुके चंद्रभूषण सिंह गुड्डू राजा की एंट्री होने जा रही है। पढ़िए रिपोर्ट।

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