सरकारें आमतौर पर कर्मचारियों के साथ सत्ता संभालने के बाद तीन-चार साल आमतौर पर बातचीत से बचती है लेकिन चुनावी साल में उसका व्यवहार दूसरे वोटर की तरह कर्मचारियों के प्रति भी लचीला हो जाता है। मगर मध्य प्रदेश में कर्मचारी राजनीति कमजोर पड़ने से उनकी आवाज एकजुट होकर मजबूती के साथ नहीं उठ पाती और इसका फायदा राज्य सरकारें लेती रही हैं। इस बार कर्मचारियों और पेंशनर्स के पांच संगठनों ने एकसाथ होकर सरकार पर दबाव बनाने का फैसला किया और आज उसकी रणनीति तैयार की। पढ़िये इस आंदोलन में क्या है चरणबद्ध योजना।
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