हरियाणा में भाजपा की नवनिर्वाचित सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग में रिक्त पदों के विरुद्ध पिछले पांच वर्षों से काम कर रहे अतिथि विद्वान को उनके अनुभव एवं योग्यता अनुसार उन्ही पदों में स्थाई नियुक्ति देने को कैबिनेट से मंजूरी दे दी है। हरियाणा सरकार के इस फैसले से मध्य प्रदेश में काम कर रहे अतिथि विद्वानों को भी आस लगी है कि यहां भी सरकार उनके हितों को ध्यान में रखकर ऐसा ही कोई फैसला लेगी।
मध्य प्रदेश के अतिथि विद्वानों के महासंघ के अध्यक्ष डॉ. देवराज सिंह ने बयान जारी कर यह दावा किया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने सरकार बनने पर अतिथि विद्वानों को नियमित पदों पर नियुक्ति देने का वादा किया था और उसे पूरा करने के लिए कैबिनेट में एक प्रस्ताव लाया गया। प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी भी दे दी है।
महासंघ की सीएम से मांग
अतिथि विद्वान महासंघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. आशीष पांडेय ने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि मध्य प्रदेश सरकार भी हरियाणा की तरह निर्णय ले। अतिथि विद्वानों के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एवं विभागीय मंत्री इंदरसिंह परमार से महासंघ ने मांग की है कि हरियाणा सरकार की तरह मध्य प्रदेश में भी अतिथि विद्वानों को रिक्त पदों पर स्थायी नियुक्ति दी जाए।
महापंचायत में भी एमपी सरकार कर चुकी है घोषणा
विधानसभा चुनाव 2023 के पहले 11 सितंबर को मुख्यमंत्री निवास पर हुई महापंचायत में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री ने घोषणा की थी कि रिक्त पदों के विरुद्ध अतिथि विद्वानों को बाहर नही किया जाएगा। आज तक इस लाइन इस घोषणा को पूरा नहीं किया गया।
सोशल मीडिया पर अभियान शुरू
वहीं अतिथि विद्वान महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. अविनाश मिश्रा एवं सचिव डॉ. दुर्गेश लसगरिया ने बताया कि पूरे प्रदेश के अतिथि विद्वानों को संघ ने अल्टीमेटम जारी कर दिया है। गूगल मीट से मीटिंग कर सभी अतिथि विद्वानों से प्रदेश सरकार से मांग करने के लिए रिक्त पदों के विरुद्ध वर्षों से कार्य करने वाले अतिथि विद्वानो को स्थाई/नियमित/समायोजन करने का सोशल मीडिया पर अभियान चलाने का फैसला किया है।