एक दौर वह भी था जब दीपावली मिट्टी से बने दीयों की थी। घी और तेल से दीेये जलाए जाते थे। तेजी से प्रचलन में आई मोमबत्ती और विद्युत झालरों के प्रयोग ने जहां कुम्हारों के हाथ से रोजगार छीन गया। वहीं घी तेल के दीये न जलने के कारण बरसात में पैदा होने वाले कीट-पतंगे भी नहीं मर पाते। नतीजा यह है कि हम परेशान होते हैं। मिट्टी के दीये पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक नहीं होते थे। हमारी इस प्राचीन परंपरा को हिंदू उत्सव समिति पुन: जीवंत करने जा रही है। इसके तहत् हम इस दिपावली पर मिट्टी का दीये घी या तेल में जरूर जलाएं।
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