रिश्वतखोरी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। रिश्वतखोर नेताओं को भी नहीं बख्श रहे हैं। भोपाल से सटे रायसेन जिले में एक सरपंच के बेटे को पंचायत सचिव नहीं होने पर रोजगार सहायक को प्रभार दिलाने के बदले 20 हजार रुपए देने पड़े तो उमरिया जिले में भाजपा के मंडल अध्यक्ष को धान तुलाई में पल्लेदार को चार हजार रुपए अलग से देना पड़े। सरपंच के बेटे ने तो लोकायुक्त से जिला पंचायत सीईओ कार्यालय के लिपिक को पकड़वाया दिया लेकिन पल्लेदार की कलेक्टर द्वारा जांच की जा रही है। वहीं, ग्वालियर में जहां नगर निगम के दो कर्मचारियों ने एक व्यक्ति से मकान के नामांतरण के लिए दो हजार रुपए की रिश्वत मांगी तो उसे रंगेहाथों पकड़ा गया।
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