सुभाष अमलियार ने चित्रकला अपनी माँ गंगुबाई से सीखी, जो स्वयं एक भीली चित्रकार हैं। साथ ही बेहतर जीवन के लिए मजदूरी का काम भी किया और छोटी उम्र से ही सुभाष, माँ गंगुबाई के साथ चित्र शिविरों, कला प्रदर्शनियों में आने-जाने लगे एवं माँ को चित्र बनाने में सहयोग भी करने लगे। माँ की मदद करते-करते एवं पढ़ाई के साथ समय मिलने पर स्वयं के लिए भी चित्र बनाये एवं प्रदर्शित भी किये। यह सिलसिला चलता रहा और चित्रकार श्री सुभाष भील चित्रों का अंकन करने लगे। श्री सुभाष भील कथाएं, प्रकृति , परिवेश, पशु-पक्षी, मनुष्य और उसके क्रियाकलाप को रंग-रेखाओं के माध्यम से उकेरते हैं।
-
दुनिया
-
सांची विश्वविद्यालय में चित्रकला प्रतियोगिता
-
उज़्बेकिस्तान में कोकन अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प महोत्सव में बाग प्रिंट कला का लहराया
-
Bhopal की Bank अधिकारी की यूरोप में ऊंची चढ़ाई, माउंट Elbrus पर फहराया तिरंगा
-
भोपाल के दो ज्वेलर्स ने बैंकों को गोल्ड लोन में लगाया 26 करोड़ का चूना, यूको बैंक की चार शाखा को ठगा
-
UNO के आह्वान पर JAYS ने मनाया विश्व आदिवासी दिवस, जल, जंगल और जमीन के प्रति जागरूक हुए आदिवासी
-