राज्य वन्य प्राणी सलाहकार बोर्ड के सदस्य रह चुके देश के वन्यजीव विशेषज्ञ वाल्मीकि थापर का कहना है कि चीता की मौत के लिए जेएस चौहान की गलती नहीं है। यहां का क्लाइमेट ही चीता के लिए सूटेबल नहीं है। यहां दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के मुकाबले भीषण गर्मी पड़ती है तो यहां ठंड भी यहां जीरो डिग्री तक पहुंच जाती है। यही कारण है कि कुनो में चीता के जीवित रहने पर संकट है। थापर का सुझाव है कि विश्व भर के एक्सपर्ट के साथ बैठकर चीता प्रोजेक्ट पर रिव्यू किए जाने की आवश्यकता है।


















