भारतीय चित्र साधना और सतपुड़ा चलचित्र समिति की ओर से आयोजित दो दिवसीय फिल्म निर्माण कार्यशाला के समापन सत्र में सामाजिक कार्यकर्ता कैलाशचंद्र ने कहा कि दादा साहब फाल्के ने भारतीय नायकों के जीवन को सामने लाने के लिए फिल्म बनाना शुरू किया। उनकी पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र से ही उनका उद्देश्य और दृष्टि सामने आती है। उसके बाद एक दर्जन से अधिक फिल्में उन्होंने भारतीय संस्कृति एवं नायकों पर बनाईं। लेकिन बाद में कला के प्रति दृष्टि में दोष आ गया। कला में जब साधना नहीं होती, तो उसके दुष्परिणाम होते हैं। इस अवसर पर मुख्य अतिथि सेज विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. वीके जैन और समिति के अध्यक्ष लाजपत आहूजा उपस्थित रहे।
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