मध्य प्रदेश राज्य वन सेवा की महिला अधिकारी सीमा द्विवेदी के आईएफएस बनने का मार्ग अब साफ हो गया है। उनकी कानूनी लड़ाई का नतीजा रहा कि दो साल बाद उनके खिलाफ लगे तथाकथित आरोपों से उन्हें क्लीनचिट मिल गई। उनके प्रमोशन के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय व यूपीएससी को पत्र लिखकर बंद लिफाफे को खोला जाएगा।
राज्य वन सेवा की अधिकारी सीमा द्विवेदी वन विकास निगम जबलपुर में पदस्थ हैं। लंबे समय से उनके खिलाफ चल रही जांच के चलते ही 2020 में आईएफएस के लिए हुई डीपीसी में उनके नाम पर कंसीडर नहीं किया गया था। कमोबेश, 2021 के लिए 15 फरवरी 23 में हुई डीपीसी में भी सीमा द्विवेदी को आईएफएस अवार्ड देने संबंधित निर्णय को लंबित रखा गया और प्रमोशन कोटे के आईएफएस के एक पद को भी सुरक्षित रखा गया। डीपीसी कमेटी ने उनके मामले में यह कहा गया कि जांच में क्लीन चिट मिलने के बाद ही आईएफएस के लिए इंडक्शन होगा। 26 जून को राज्य शासन ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक उत्पादन असीम श्रीवास्तव के जांच प्रतिवेदन, आरोपों को असत्य साबित करने संबंधी दस्तावेज और उनका विश्लेषण करने के बाद राज्य शासन ने उन्हें क्लीनचिट दिया है।
क्या था मामला
तत्कालीन पीसीसीएफ कैंपा सागर सर्किल में दौरे पर गए थे। उनके दौरे को लेकर एक ऑडियो भी वायरल हुआ था. दौरे से लौटने के बाद एक रिपोर्ट बनाकर तत्कालीन वन बल प्रमुख को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि बीना बहुउद्देशीय संयुक्त सिंचाई परियोजना के अंतर्गत वैकल्पिक वृक्षारोपण के वर्ष 2019-20 में ग्राम चंदई खसरा नंबर 224 गेर वनभूमि रकबा 36.61 तथा ग्राम मेनाई 282 गैर वन भूमि रकबा 68.60 हैक्टयर में वृक्षारोपण में गड्ढे कम और 26322 पौधे कम पाए गए थे। एक सीनियर अधिकारी के दौरे रिपोर्ट के आधार पर वन बल प्रमुख ने मौजूदा पीसीसीएफ उत्पादन एपीसीसीएफ संरक्षण असीम श्रीवास्तव को जांच अधिकारी बनाया। श्रीवास्तव ने विस्तृत जांच करने के बाद पूर्व पीसीसीएफ कैंपा के अध्ययन रिपोर्ट में कही गई बातों पर तर्क देते हुए असहमति जताई। श्रीवास्तव की जांच रिपोर्ट में की गई सिफारिश के आधार पर ही सीमा द्विवेदी को क्लीन चिट दिया गया।
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